ज्ञात रहे कि करैरा के 10 युवाओं ने वेरीफायर के काम को किया, लेकिन उन्हें मानदेय अभी तक नहीं मिला। उक्त वेरीफायर युवाओं ने जब करैरा अस्पताल में मानदेय की मांग की तो उनसे सीधे ही 20 प्रतिशत कमीशन की मांग की गई। मानदेय के लिए परेशान इन युवाओं ने सीएमएचओ शिवपुरी को शिकायती पत्र भेजते हुए उक्त आरोप लगाया। इस पर सीएमएचओ ने तत्कालीन करैरा बीएमओ डॉ. संतकुमार शर्मा को बीते 14 नवंबर को तलब किया था, लेकिन डॉ. शर्मा उस तारीख में भी नहीं आए थे। इतना ही नहीं इन युवाओं ने सीएमएचओ को भेजे शिकायती पत्र में यह भी उल्लेख किया था कि जब हम करैरा अस्पताल जाकर अपना मानदेय मांगते हैं तो हमें यह धमकी दी जाती है कि यदि यहां चक्कर लगाओगे तो तुम्हारे साथ मारपीट की जाएगी।
चार बार की शिकायत, फिर पहुंचे न्यायालय करैरा अस्पताल में वेरीफायर के पद पर काम करके मानदेय के लिए परेशान इन शिक्षित युवाओं ने अभी तक चार बार वरिष्ठ अधिकारियों से शिकायत की। जिसमें 15 फरवरी, 20 अप्रैल, 9 जून एवं 10 अगस्त को लिखित शिकायत की, लेकिन उनकी सुनवाई नहीं की गई। तो फिर मजबूर होकर उन्होंने ग्वालियर हाईकोर्ट की शरण ली।
न्यायालय ने जारी किए नोटिस तो मचा हडक़ंप हाईकोर्ट ग्वालियर में याचिका दायर होने के बाद शासकीय अधिवक्ता जीतेश शर्मा ने जब स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों को नोटिस जारी किए तो सीएमएचओ डॉ. पवन जैन ने बीएमओ करैरा व टीकाकरण शाखा प्रभारी को 5 दिसंबर को पत्र जारी किए। जिसमें उल्लेख किया है कि तीन दिन में हाईकोर्ट ग्वालियर में अपना जवाब लेकर संपर्क करना सुनिश्चित करें।