शहर में जो डिस्ट्रीब्यूशन लाइन के पाइप डाले गए हैं, वे भी जगह-जगह से लीकेज हो रहे हैं। अभी हाल ही में अनाज मंडी के पास डाली गई लाइन भी दो जगह से लीकेज हो गई। यानि मेन लाइन के पाइप भी खराब हैं और शहर में टंकियों को जोडऩे वाली लाइन के पाइप भी कमजोर गुणवत्ता के हैं। ऐसे में सिंध का पानी लोगों के घरों तक कैसे पहुंच पाएगा? इसमें संशय बना हुआ है। क्योंकि मेन लाइन के पाइप के अलावा डिस्ट्रीब्यूशन लाइन के पाइप भी घटिया क्वालिटी के होने की वजह से सप्लाई चालू होते ही यह साथ छोड़ रहे हैं। जब प्रोजेक्ट का एस्टीमेट रिव्यू हुआ था, तभी यदि पाइपों को बदलने का प्रस्ताव भी शामिल कर लिया जाता, तो ही शायद यह प्रोजेक्ट सफल हो पाता।
शिवपुरी विधायक यशोधरा राजे सिंधिया व नपाध्यक्ष मुन्नालाल कुशवाह के बीच चल रही अदावत नई नहीं है, बल्कि पिछले लंबे समय से चली आ रही है। बीपीएल कार्ड में मुन्नालाल को जेल तक का सफर तय करवाने में राजे के नजदीकी ही सक्रिय भूमिका में रहे थे। इसके अलावा इंटेकवेल पर बिना बिजली के खटका दबाने पहुंचे नपाध्यक्ष पर सतनवाड़ा थाने में दर्ज किए गए मामले में भी पर्दे के पीछे पूर्व केबीनेट मंत्री ही रहीं। दोनों जनप्रतिनिधियों के बीच चल रहे इस द्वंद का मुख्य कारण पूर्व केबीनेट मंत्री की बैठक में नपाध्यक्ष की गैर मौजूदगी रही। यशोधरा राजे चाहती थीं कि शहर का विकास नगरपालिका को साथ में लिए बिना नहीं हो सकता, इसलिए बैठक में नपाध्यक्ष भी मौजूद रहें, लेकिन बैठकों में बुलाए जाने के बाद भी नपाध्यक्ष नहीं पहुंचे तो इनके बीच की खाई गहरी होती चली गई।
नपा हुई फेल
जो पाइप डाले गए हैं, उनकी क्वालिटी कमजोर है और इसके बारे में पहले ही विचार करना था, क्योंकि प्रोजेक्ट रिवाइस हो रहा था, तो उसमें ही पाइप बदलने को भी शामिल करना था। मैं तो पानी शहर तक ले आई थी, लेकिन उसे घर-घर तक पहुंचाने की जिम्मेदारी तो नगरपालिका की है, जिसमें वो पूरी तरह से फेल हो गई है।
यशोधरा राजे सिंधिया, शिवपुरी विधायक
मुन्नालाल कुशवाह, नपाध्यक्ष शिवपुरी