script9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर प्राचीन जैन प्रतिमाओं से सुसज्जित है शिवपुरी का संग्रहालय | Many tourists come from country and abroad to see the sculptures and a | Patrika News

9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर प्राचीन जैन प्रतिमाओं से सुसज्जित है शिवपुरी का संग्रहालय

locationशिवपुरीPublished: May 18, 2023 03:26:30 pm

9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर प्राचीन जैन प्रतिमाओं से सुसज्जित है शिवपुरी का संग्रहालयदेश-विदेश से पुरातत्व काल की मूर्तियां व प्राचीन वस्तुएं देखने आते है कई पर्यटक-संग्रहालय दिवस पर विशेष

9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर प्राचीन जैन प्रतिमाओं से सुसज्जित है शिवपुरी का संग्रहालय

9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर प्राचीन जैन प्रतिमाओं से सुसज्जित है शिवपुरी का संग्रहालय


9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर प्राचीन जैन प्रतिमाओं से सुसज्जित है शिवपुरी का संग्रहालय
देश-विदेश से पुरातत्व काल की मूर्तियां व प्राचीन वस्तुएं देखने आते है कई पर्यटक
-संग्रहालय दिवस पर विशेष
शिवपुरी। आगरा.मुंबई पर झांसी से 100 किमी पश्चिम व ग्वालियर से 135 किमी दक्षिण में स्थित शिवपुरी को ग्वालियर राज्य के सिंधिया की ग्रीष्मकालीन राजधानी के रूप में जाना जाता है। वैसे तो यहां पर कई पर्यटन स्थल है, लेकिन शिवपुरी का संग्रहालय भी किसी ऐतिहासिक पर्यटक स्थल से कम नही। संग्रहालय में 9 वीं शताब्दी के बलुआ पत्थर से लेकर जैन धर्म की कई प्राचीन प्रतिमाओं का भंडार है।
जिले भर के इतिहास को संभाले हुए शिवपुरी का संग्रहालय काफी दिलचस्प व रोमांच से भरा हुआ है। यहां का प्रारंभिक इतिहास अनिश्चितता की धुंध में डूबा हुआ है। शिवपुरी में खुदाई के दौरान मिली कई जैन प्रतिमाएं से लेकर अन्य ऐतिहासिक वस्तुओं को सहेज कर संग्रहालय में रखा गया है। इनमें कई वस्तुए काफी प्राचीन है। यहां हर माह 5 सैकड़ा से अधिक देशी व विदेशी पर्यटक संग्रहालय में रखी प्राचीन व ऐतिहासिक मूर्तियों के साथ पुरानी वस्तुओं को देखने आते है। हालांकि पुरातत्व विभाग ने इस संग्रहालय का प्रचार-प्रसार ठीक तरह से नही किया, नही तो पर्यटकों की संख्या बढ़ सकती है। इस नए संग्रहालय का शुभारंभ 18 मई 2018 को हुआ था। पहले इसी स्थान पर पुराना संग्रहालय था, लेकिन वह जीर्णशीर्ण हालत में होने के बाद उसे हटाकर नए भवन का निर्माण कराकर अब पुरातत्व विभाग इसका संचालन कर रहा है।
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टोपीदार दो नाली मजल लोडिंग बंदूक व बलुआ पत्थर करते है आकर्षित
संग्रहालय में 19 वीं शताब्दी की दो नाली मजल लोडिंग बंदूक जो कि 5 प्रकार की है। यह यहांं मौजूद है। साथ ही 9 व 10 वीं शताब्दी के मोटा कणयुक्त बलुआ पत्थरों को भी यहां पर संजोकर रखा गया है।
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दो नागों की लिपटी हुई नाग मिथुन पत्थर की प्रतिमा का अलग ही अंदाज
यहां पर नाग मिथुन की इस प्रतिमा में दो नागों को आपस में लिपटे हुए बनाया गया है। इनके सिर पर सात सर्पफण हैं। इन नागों के शरीर के ऊपर शलक को बहुत अलंकृत दिखाया गया है। नाग फलक के निचले भाग में दो पूजारत मानव आकृतियों को अंजली मुद्रा में व एक मानव आकृति को मध्य में प्रदर्शित किया गया है।
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नाथ के 100 पुत्रों में दूसरे पुत्र थे बाहुबली
जैन ग्रन्थों में नाथ के 100 पुत्रों का उल्लेख मिलता है जिनमें भरत चक्रवती पहले व बाहुबली दूसरे पुत्र है। भरत ने जब बाहुबली से उसकी सत्ता स्वीकार करने को कहा तो बाहुबली ने मना कर दिया और दोनो में युद्ध हुआ और बाहुबली जीत गए। बाद में बाहुबली ने सबकुछ त्यागकर लगातार एक साल तक खड़े होकर कठिन तपस्या की और भगवान को प्राप्त किया। संग्रहालय में यह प्रतिमा भी पर्यटको को अपनी तरफ खुद की खींच लेती है।
यह बोले संग्रहालय इंचार्ज
पर्यटको के लिए सप्ताह में 6 दिन यह संग्रहालय खुलता है। शुक्रवार को इसे बंद रखा जाता है। यहां पर एक माह में करीब 5 सैकड़ा से अधिक देशी व विदेशी पर्यटक आते है। संग्रहालय में काफी प्राचीन जैन प्रतिमाओं के अलावा कई ऐतिहासिक वस्तुए है।
शशिकांत राठौरए इंचार्ज, संग्रहालय, शिवपुरी।
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