scriptमृत गायों के पेट से निकल रही 30 से 35 किलो पॉलीथिन | More than two dozen cows die in Goshala in one month | Patrika News

मृत गायों के पेट से निकल रही 30 से 35 किलो पॉलीथिन

locationशिवपुरीPublished: Mar 08, 2019 10:41:01 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

एक माह में गोशाला में दो दर्जन से अधिक गायों की मौत , प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बिक रही पॉलीथिन बन रही मौत का कारण
 

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मृत गायों के पेट से निकल रही 30 से 35 किलो पॉलीथिन

शिवपुरी. जिला प्रशासन द्वारा लुधावली में बनी पुरानी गोशाला को एक बार फिर से दुरुस्त कर वहां आवारा पशुओं को बंद करना शुरू कर दिया। इस गोशाला में लगभग एक माह के भीतर यहां दो दर्जन से अधिक गायों की मौत हो गई। इन गायों में से प्रत्येक गाय के पेट से 30 से 35 किलो पॉलीथिन निकली है। इससे स्पष्ट है कि गायों की मौत का मुख्य कारण बाजार में प्रतिबंध के बावजूद धड़ल्ले से बिक रही पॉलीथिन है, जिसे नगरपालिका ने कागजों में ही प्रतिबंधित किया, जबकि धरातल पर इसका उपयोग धड़ल्ले से हो रहा है।
गौरतलब है कि प्रदेश सरकार द्वारा नगर पालिका, नगर परिषद व ग्राम पंचायत स्तर पर आवारा मवेशियों के लिए गोशाला खोलने की घोषणा करने के बाद लुधावली क्षेत्र में बंद पड़ी गोशाला में जिला प्रशासन ने एक बार फिर से गौशाला शुरू कर दी है। इस गोशाला में शहर के आवारा मवेशियों को पकड़ कर बंद किया जा रहा है। 1 फरवरी से शुरू हुई इस गोशाला में अब तक दो दर्जन से अधिक मवेशियों की मौत हो चुकी है। गोशाला में लगातार हो रही मौतों का कारण पॉलीथिन बताई जा रही है। अब तक जिन मवेशियों की मौत हुई है, उनमें से प्रत्येक के पेट में से 30 से 35 किलो पॉलीथिन निकली है। मवेशियों की मौत का कारण जानने के लिए जब इनका इलाज कर रहे डॉक्टर से बात की तो उसने बताया कि इन मवेशियों द्वारा जो पॉलीथिन खाई गई, वह इनके पेट में जम गई, इस कारण उनकी पाचन क्रिया काम नहीं कर पा रही है। यही कारण है कि मवेशियों की लगातार मौत हो रही है।
रोड पर नहीं, गोशाला में क्यों मौत?
जिन मवेशियों की मौत पॉलीथिन के कारण होना बताई जा रही है, उन मवेशियों की मौत पर जब डॉक्टर से यह पूछा गया कि यह मवेशी सिर्फ गौशाला में ही क्यों मर रहे हैं? रोड पर तो यह पूरी तरह स्वस्थ दिखते हैं। इस पर डॉक्टरों का कहना है कि मवेशी बाजार में पॉलीथिन को खाने के बाद दिन भर घूमते फिरते रहते हैं इस कारण वह पच जाती है और गोबर के रास्ते बाहर में आती रहती है, परंतु यहां उतना चलना फिरना नहीं हो पा रहा है, पॉलीथिन पेट में होने के कारण भूसा नहीं पच रहा है। यही कारण है कि उनकी तबीयत बिगडऩे के बाद उनकी मौत हो रही है।
कार्रवाई के नाम पर सिर्फ औपचारिकता
बात अगर पॉलीथिन पर प्रतिबंध के बाद नगर पालिका द्वारा पॉलीथिन विक्रेताओं पर की जाने वाली कार्रवाई की करें तो नपा द्वारा सिर्फ औपचारिकता निभाई जा रही है। साल में एकाध बार एक दो दुकानों पर कार्रवाई कर अपने कर्तव्य की इतिश्री कर ली जाती है, जबकि हर सब्जी व फल के ठेले पर, प्रत्येक दुकान से उपभोक्ताओं को पॉलीथिन में ही सामग्री की सप्लाई की जा रही है। अगर नगर पालिका द्वारा नियमानुसार कार्रवाई कर पॉलीथिन के उपयोग पर रोक लगा दी जाए तो यह तय है कि मवेशियों के पेट से पॉलीथिन निकलना भी बंद हो जाएगी।
हम तो आवारा मवेशियों को पकड़ कर गोशाला में रख रहे हैं, ताकि उन्हें भूसा और पानी उपलब्ध कराया जा सके। उनकी मौत का कारण क्या है यह हम नहीं जानते, रही बात बाजार में पॉलीथिन के प्रयोग की तो हम समय-समय पर कार्रवाई करते हैं और वर्तमान में पॉलीथिन पूरी तरह से प्रतिबंधित है।
सीपी राय, सीएमओ, नपा

मवेशियों के पीएम के बाद यह सामने आ रहा है कि मवेशियों के पेट में 30 से 35 किलो पॉलीथिन है। इस कारण उनकी पाचन क्रिया डिस्टर्ब हो गई है, यही उनकी मौत की वजह है।
डॉ एमके गुप्ता, पशु चिकित्सक
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