जिस योजना पर ढाई लाख की आबादी निर्भर उस पर जिम्मेदार नहीं दे रहे ध्यान
शहर की ढाई लाख की आबादी पानी के लिए सिंध पर आश्रित है, बावजूद इसके जलावर्धन योजना का कोई धनीधोरी नहीं है। आए दिन पाइप लाइन टूटने से सिंध की सप्लाई रुकते ही शहर में जल संकट गहरा जाता है और शनिवार की शाम लाइन टूटने के बाद ठप हुई सप्लाई के बाद रविवार को जगह-जगह पानी के लिए लोग भटकते नजर आए।

शिवपुरी. शहर की ढाई लाख की आबादी पानी के लिए सिंध पर आश्रित है, बावजूद इसके जलावर्धन योजना का कोई धनीधोरी नहीं है। आए दिन पाइप लाइन टूटने से सिंध की सप्लाई रुकते ही शहर में जल संकट गहरा जाता है और शनिवार की शाम लाइन टूटने के बाद ठप हुई सप्लाई के बाद रविवार को जगह-जगह पानी के लिए लोग भटकते नजर आए। महत्वपूर्ण बात यह है कि प्रोजेक्ट का संचालन व संधारण की जिम्मेदारी कंपनी को अभी तक नपा ने दी नहीं है और नपा के जिम्मेदार खुद काम नहीं कर रहे हैं, लेकिन इस मनमानी के बीच शहर की जनता भुगत रही है।
गौरतलब है कि शिवपुरी शहर में भले ही नगरपालिका के 620 ट्यूबवैल व पुराने फिल्टर प्लांट से भी पानी की सप्लाई होती है। लेकिन गुजरे वर्ष में औसत सामान्य बारिश से कम वर्षा होने की वजह से इस बार सर्दियां खत्म होने से पहले ही ट्यूबवेलों में पानी कम हो गया तथा पाइप बढ़ाने के लिए नगरपालिका में सामान नहीं है। यानि ट्यूबवेलों से सप्लाई पहले ही ठप हो गई, वहीं पुराने फिल्टर प्लांट से जिन क्षेत्रों में सप्लाई होती है, वहां लीकेज इतने अधिक हैं कि आखिरी छोर तक पानी पहुंचता ही नहीं है। वहीं इसके उलट शहर की सभी पानी की टंकियों को सिंध जलावर्धन की लाइन से जोडऩे के साथ ही संपवेल भी उसी सप्लाई से भरे जा रहे हैं। यानि पूरे शहर में पानी की सप्लाई सिंध जलावर्धन योजना पर ही आश्रित होकर रह गई। बावजूद इसके इस प्रोजेक्ट की जिम्मेदारी लेने को कोई तैयार नहीं है। आए दिन पाइप लाइन में होने वाले लीकेज को सुधारने का काम कंपनी के कर्मचारी भी इतनी धीमी गति से करते हैं कि तब तक शहर में न केवल पानी के लिए हाहाकार हो जाता है, बल्कि प्राइवेट टैकर वालों का भी धंधा चल निकलता हे। सूत्रों का तो यहां तक कहना है कि कंपनी के लोगों का शहर के वाटर सप्लायरों से गुप्त समझौता है, इसलिए महीने में दो-चार बार शहर में इस तरह का कृत्रिम संकट उत्पन्न किया जा रहा है।
प्रोजेक्ट को लेकर कंपनी व नपा आमने-सामने
सिंध जलावर्धन प्रोजेक्ट का काम ओम कंस्ट्रक्शन कंपनी देख रही है, जिसके प्रोपराइटर वो ही महेश मिश्रा हैं। मिश्रा कह रहे हैं कि हमारे कर्मचारियों का वेतन नपा समय पर नहीं देती तथा प्रोजेक्ट का संचालन-संधारण भी हमें नहीं दिया जा रहा। जबकि नपा सीएमओ का कहना है कि खुद मिश्रा शिवपुरी में रहते हुए काम को नहीं देख रहे और न ही उनका कोई जिम्मेदार यहां पर है। बकौल सीएमओ, वो कह रहे हैं कि हर छह महीने में कर्मचारियों का वेतन बढ़ाया जाए, जो संभव नहीं है। यानि कुल मिलाकर प्रोजेक्ट को लेकर नपा व कंपनी आमने-सामने आ गए हैं। जिसका खामियाजा शहर की जनता भुगत रही है।
नपा में कोई सुनने वाला नहीं
पाइप लाइन को आए दिन नुकसान पहुंचाया जाकर लीकेज किए जा रहे हैं, लेकिन नपा में कोई भी सुनने वाला नही है। सीएमओ का फोन उठता नहीं है, एइ लाचारी बताकर पल्ला झाड़ लेते हैं। जब कोई सुनने वाला ही नहीं है तो मैं शिवपुरी में रुककर भी क्या करूंगा।
महेश मिश्रा, डायरेक्टर ओम कंस्ट्रक्शन कंपनी
लाइन करवा रहे दुरुस्त
जहां पर लाइन लीकेज हुई है, उसे हम सुधरवा रहे हैं और जल्दी ही सप्लाई शुरू करेंगे। कंपनी का कोई जिम्मेदार यहां पर नहीं है, वो तो हर महीने वेतन बढ़ाने की मांग कर रहे हैं, जबकि हम एग्रीमेंट के मुताबिक वेतन बढ़ा रहे हैं।
जीपी भार्गव, सीएमओ नपा शिवपुरी
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