शिवपुरी. पिछले कुछ समय से देखा जा रहा है कि स्कूलों में बच्चों के साथ कई अलग-अलग तरह की वारदातें सामने आ रही हैं। स्कूल प्रबंधन बच्चों की सुरक्षा को लेकर उतना संजीदा नहीं हैं, जितना उन्हें होना चाहिए। वहीं अभिभावक भी बच्चे को स्कूल में भेजने के बाद यह
ध्यान तक नहीं देते कि स्कूल में उनके बच्चे को कैसा माहौल मिल रहा है। उनके बच्चे के साथ कैसा व्यवहार किया जा रहा है। स्कूल में उनके बच्चे को पढ़ाने वाली टीचर की एजूकेशन, उसका व्यवहार और उसकी तर्क
शक्ति किस स्तर की है। जिस स्कूल बस में वह स्कूल जा रहा है उस बस की हालत क्या है? स्कूल में गैर शिक्षकीय स्टाफ की स्थिती क्या है। आज कल जिले शासकीय और गैर शासकीय स्कूलों में जो हालात हैं उन्हें सुधारने की दिशा में शासकीय
तंत्र की ओर से बहुत अधिक प्रयास नहीं किए जा रहे हैं। ऐसे में पेरेंट्स को भी अपनी जिम्मेदारी को समझते हुए स्कूलों में मिशन सेफ्टी चलाना चाहिए, ताकि उनका बच्चा सुरक्षित और निर्भीक रह सके। बच्चों को सुरक्षा का अहसास हो, क्योंकि बच्चा जब सुरक्षित होगा तभी तो पढ़ेगा।
पेरेंट्स मीटिंग में जानें हालात: अभिभावक संघ से जुड़े अभिनंदन जैन का कहना है कि सामान्यत: यह देखा जाता है कि पेरेंट्स बच्चे की सुरक्षा तो चाहते हैं परंतु स्कूल प्रबंधन के सामने खड़े होकर बात नहीं करना चाहते, क्योंकि उन्हें डर है कि स्कूल प्रबंधन इस पर एक्शन ले सकता है। उनके अनुसार स्कूल की शिक्षा व सुरक्षा व्यवस्था को जानना अभिभावकों का अधिकार है, इसलिए अभिभावक पेरेंट्स मीटिंग में जरूर जाएं। वहां बच्चे के रिजल्ट को ही न देखें बल्कि यह भी जानें स्कूल की सुरक्षा व्यवस्था कैसी है, बसों की स्थिती क्या है। अभिनंदन के अनुसार उन्होंने बुधवार को ही आरटीओ ऑफिस फिटनेस के लिए पहुंची एक बस का आरटीओ के साथ वेरीफिकेशन किया और खामियों को उनके समक्ष रखा। इसका परिणाम यह हुआ कि आरटीओ ने बस की फिटनेश जारी करने की बजाय उसे लौटा दिया। यदि पेरेंट्स इसी तरह आवाज बुलंद करेगा तो हालातों में सुधार होंगे।
स्कूल सरकारी हो या फिर प्रायवेट पेरेंट्स को स्कूल जाकर हालातों का जायजा लेना चाहिए। कमियों पर स्कूल प्रबंधन से बात करना चाहिए, इससे हालातों में सुधार आएगा।कमियों की शिकायत प्रबंधन को करना अभिभावकों का अधिकार है।
शिरोमणि दुबे, डीपीसी शिवपुरी
यह बात सही है कि पेरेंट्स यदि बच्चे को स्कूल बस में बैठाते समय बस की स्थिति को देख कर उस पर अपना विरोध दर्ज कराएंगे तो यह तय है कि बसों की स्थिति में सुधार आएगा। पेरेंट्स को अधिकार है कि वह बस को चेक कर सकते हैं।
विक्रमजीत सिंह कंग,आरटीओ शिवपुरी