गौरतलब है कि पोहरी में दो पहाडिय़ों के बीच जहां पर सरकुला डैम बनाया जाना प्रस्तावित है, वहां पर एक तेंदुए का जोड़ा व उनके साथ दो शावक जंगल में पिछले एक पखबाड़े से देखे जा रहे हैं। शुरुआत में तो यह तेंदुआ जंगल में जड़ी-बूटी तोडऩे जाने वाले आदिवासियों को नजर आया और फिर उसके बाद मवेशी लेकर जंगल में जाने वाले चरवाहों को भी यह दिखा। तेंदुआ अभी तक आधा दर्जन से अधिक मवेशियों को अपना शिकार बना चुका है। जिसके चलते अब पोहरी के चरवाहे मवेशी लेकर जंगल के उस क्षेत्र में नहीं जा रहे, क्योंकि उन्हें अपने मवेशियों के साथ-साथ खुद की जान का भी खतरा लग रहा है। उधर फोरेस्ट वाले यह कहकर पल्ला झाड़ रहे हैं कि तेंदुआ तो जंगल में ही रहता है तो फिर उसे वहां से क्यों पकड़ा जाए। ऐसे में स्थानीय रहवासियों को यह चिंता सता रही है कि कहीं वो जंगल से निकलकर रिहायशी इलाके में न आ जाए।
चरवाहे पर हमले के बाद सहमे लोग
चूंकि जंगल के जिस क्षेत्र में तेदुआ अपने परिवार सहित घूम रहा है, वहां पर अक्सर पोहरी के आदिवासी जड़ी-बूटी तोडऩे जाते हैं, लेकिन अब जबकि शनिवार को तेंदुआ ने एक चरवाहे पर हमला कर दिया, इसलिए अब आदिवासी भी जंगल में जाने से कतरा रहे हैं। क्योंकि तेंदुआ एक बार जब इंनसान पर हमला कर देता है तो फिर वो इस तरह से दूसरों पर भी हमला कर सकता है।
जंगल में ही है तेंदुआ
जहां पर सरकुला डैम प्रस्तावित है, वहां पर तेंदुआ व उसके शावक देखे गए हैं। चूंकि वो पूरा जंगल एरिया है तो जंगल में तेंदुआ घूमता है। वो अभी तक रिहायशी इलाके में नहीं आया है तथा हम उसकी मॉनीटरिंग कर रहे हैं।
केपीएस धाकड़, रेंजर पोहरी