मंदिर के पास का कुआं कभी नहीं सूखा
बताते हैं, मंदिर के पास में ही स्थित एक कुएं से आदिवासी समुदाय के लोगों ने मंदिर में पानी भरा। बताते हैं कि कितना भी सूखा पड़ा हो, लेकिन इस कुएं का पानी कभी नहीं सूखता। वहीं, आदिवासियों के पूर्वजों ने ऐसा ही किया था और उसके परिणाम आए थे। आज भी जब गांव वर्षा से महरूम है तो समाज के वयोवृद्ध लोगों ने यह सुझाव दिया था, जिसके परिणाम भी सुखद आए। ग्रामीणों का कहना है, अब हमें भरोसा है कि अच्छी वर्षा होगी। भगवान ने हमारी सुन ली। ग्रामीणों का कहना है, जब तक बरसात नहीं होती, तब तक भजन-कीर्तन करते रहते, लेकिन अब एक घंटे अच्छी बारिश हो गई तो हमने भजन-कीर्तन बंद कर दिया।
बताते हैं, मंदिर के पास में ही स्थित एक कुएं से आदिवासी समुदाय के लोगों ने मंदिर में पानी भरा। बताते हैं कि कितना भी सूखा पड़ा हो, लेकिन इस कुएं का पानी कभी नहीं सूखता। वहीं, आदिवासियों के पूर्वजों ने ऐसा ही किया था और उसके परिणाम आए थे। आज भी जब गांव वर्षा से महरूम है तो समाज के वयोवृद्ध लोगों ने यह सुझाव दिया था, जिसके परिणाम भी सुखद आए। ग्रामीणों का कहना है, अब हमें भरोसा है कि अच्छी वर्षा होगी। भगवान ने हमारी सुन ली। ग्रामीणों का कहना है, जब तक बरसात नहीं होती, तब तक भजन-कीर्तन करते रहते, लेकिन अब एक घंटे अच्छी बारिश हो गई तो हमने भजन-कीर्तन बंद कर दिया।