scriptअनूठा प्रयोग: बारिश के लिए लोगों ने भगवान को बनाया बंधक, फिर झमाझम हुई बारिश | People made God hostage for rain in shivpuri | Patrika News

अनूठा प्रयोग: बारिश के लिए लोगों ने भगवान को बनाया बंधक, फिर झमाझम हुई बारिश

locationशिवपुरीPublished: Jul 26, 2020 10:44:50 pm

Submitted by:

shatrughan gupta

लोगों ने मंदिर भजन-कीर्तन और भी तेज कर दिया और ईश्वर को बारिश के लिए धन्यवाद दिया।

अनूठा प्रयोग: बारिश के लिए लोगों ने भगवान को बनाया बंधक, फिर झमाझम हुई बारिश

अनूठा प्रयोग: बारिश के लिए लोगों ने भगवान को बनाया बंधक, फिर झमाझम हुई बारिश

पिछोर (शिवपुरी). भगवान और इंसान के बीच एक अटूट संबंध है। यही वजह है कि भक्त और भगवान के बीच चाह (इच्छा) को लेकर अक्सर खींचतान होती रहती है। ऐसा ही एक मामला रविवार को पिछोर के बमना गांव में देखने को मिला। गांव के लोगों ने जो किया और फिर उसका परिणाम जो सामने आया, उसने ईश्वर व इंसान के रिश्ते को एक बार फिर गहरा कर दिया। दरअसल, सूखा गुजर रहे सावन को लेकर बमना गांव के किसान और अन्य लोग काफी चिंतित हैं। उन्होंने बारिश के लिए गांव में स्थिति काफी पुराने भगवान शिव के मंदिर में शुक्रवार सुबह पानी भरकर शिवलिंग को पूरी तरह डूबो दिया और मंदिर के पट बंद कर दिए, फिर मंदिर के बाहर भजन-कीर्तन करते रहे। तीसरे दिन यानी रविवार को भगवान ने उनकी सून ली। खास बात यह रही कि रविवार को पूरा पिछोर सूखा रहा, लेकिन सिर्फ बमना गांव में एक घंटे तक लगातार झमाझम बारिश होती रही। पिछोर जनपद की ग्राम पंचायत बमना में बीते शुक्रवार से चोपरा कुआं के मंदिर पर ग्राम के आदिवासी समुदाय तथा अन्य ग्रामीणों ने मिलकर भगवान शंकर के मंदिर के दरवाजे को काली मिट्टी से बंद कर दिया तथा मंदिर में पानी भरकर शिवलिंग को डुबो दिया। ग्रामीणों का संकल्प था कि जब तक पानी नहीं बरसेगा, तब तक भगवान को भी पानी में डुबोने के अलावा मंदिर के बाहर भजन-कीर्तन करते रहेंंगे। भजन-कीर्तन का क्रम लगातार तीन दिन तक चला। रविवार शाम लगभग 4 बजे अचानक आसमान पर काली घटाएं छाई और बारिश शुरू हो गई। लगभग एक घंटे तक गांव में झमाझम बारिश हुई। यह बारिश इतनी तेज थी कि गांव की गलियों में घुटनों तक पानी भर गया। बारिश होते ही लोगों ने मंदिर भजन-कीर्तन और भी तेज कर दिया और ईश्वर को बारिश के लिए धन्यवाद दिया।
मंदिर के पास का कुआं कभी नहीं सूखा
बताते हैं, मंदिर के पास में ही स्थित एक कुएं से आदिवासी समुदाय के लोगों ने मंदिर में पानी भरा। बताते हैं कि कितना भी सूखा पड़ा हो, लेकिन इस कुएं का पानी कभी नहीं सूखता। वहीं, आदिवासियों के पूर्वजों ने ऐसा ही किया था और उसके परिणाम आए थे। आज भी जब गांव वर्षा से महरूम है तो समाज के वयोवृद्ध लोगों ने यह सुझाव दिया था, जिसके परिणाम भी सुखद आए। ग्रामीणों का कहना है, अब हमें भरोसा है कि अच्छी वर्षा होगी। भगवान ने हमारी सुन ली। ग्रामीणों का कहना है, जब तक बरसात नहीं होती, तब तक भजन-कीर्तन करते रहते, लेकिन अब एक घंटे अच्छी बारिश हो गई तो हमने भजन-कीर्तन बंद कर दिया।
loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो