पहले कभी शादी में होने वाले विभिन्न कार्यक्रमों की वीडियो व फोटो बना करती थीं, लेकिन अब समय के साथ ही इसमें भी बदलाव आ गया और प्रीवेडिंग का चलन तेजी से चल निकला है। ट्रेडिशनल फोटो वीडियोग्राफी करने वाले रवि चौहान का कहना है कि शादी से पहले वरवधु के किसी पिकनिक स्पॉट या ऐतिहासिक महत्व की इमारतों के बीच साँग के साथ वीडियो आदि बनाए जाते हैं, उसके अलावा शादी में होने वाली वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी में 30 हजार रुपए से लेकर 1 लाख रुपए तक का खर्चा आता है।
पहले कभी दूल्हा-दुल्हन बनने वाले युवक-युवती शादी के समय ही मिला करते थे, लेकिन अब प्रीवेडिंग में जोड़ा न केवल वीडियोग्राफी के लिए एक साथ घूमते हैं, बल्कि वो फिल्मी अंदाज में अपने वीडियो बनवाते हैं।

अब कारोबार बढ़ा
शादियों के लिए अबूझ मुहूर्त आखातीज के लिए बाजारों से लेकर होटल्स, मैरिज गार्डन, वीडियोग्राफी, टैंट, कैटरिंग जैसे कारोबार में खासी चमक आ गई है। कोरोना काल में जहां कारोबार मंदा हो गया था वहीं अब एडवांस बुकिंग्स के ऑफर्स ने कारोबारियों को हैरान कर दिया है। टेंट, बैंडबाजे, घोड़ी, बघ्घी, स्टेज सजावट के ढेरों आर्डर आ रहे हैं। थीम वेडिंग्स के चलन और लग्जरी लुक के लिए परिवार खूब खर्च कर रहे हैं। इससे कारोबारियों की चुनौती भी बढ़ी है और कमाई भी। समय के साथसाथ अब विवाह आयोजन के कार्यक्रमों में बदलाव होने के साथ ही दूल्हादुल्हन की पोशाकों में भी बदलाव हो गया। इतना ही नहीं अब बारातियों ने भी एक ही मेचिंग में ड्रेस का चलन चल निकला है।
वहीं प्रीवेडिंग फोटोग्राफी व वीडियो का चलन भी बढ़ गया है। इन दिनों दूल्हे को जहां शेरबानी पसंद आ रही है, तो वहीं दुल्हन को भी लहंगाचुनरी पसंद आ रही है। दो साल बाद जब कोरोना के बिना शादियों का सीजन आया तो दुकानों पर रखा माल भी कम पड़ने लगा है। महत्वपूर्ण बात यह है कि आमजन के साथसाथ ग्रामीण क्षेत्र के लोगों की भी परचेजिंग पॉवर बढ़ जाने से व्यवसायियों को भी कोरोना का घाटा पूरा होने की उम्मीद है।
बाराती भी ले रहे एक जैसी ड्रेस
रेडीमेड शोरूम के संचालक धर्मेद्र अग्रवाल का कहना है कि अब दूल्हे की पसंद शेरबानी है, जिसकी डिमांड सबसे अधिक है। वहीं दुल्हन बनने वाली युवतियों को भी साड़ी की जगह लहंगा-चुनरी पसंद आ रहा है। इतना ही नहीं बारात में जाने वाले वर पक्ष के परिजन व रिश्तेदार भी एक जैसा पजामाकुर्ता ले रहे हैं, जिसके चलते एक साथ 50 से 70 पजामाकुर्ता के आर्डर मिल रहे हैं। अग्रवाल का कहना है कि सीजन इतना तेज चलेगा, इसका अनुमान नहीं था और अब माल भी कम पड़ने लगा है, जबकि शादियों का सीजन जून तक चलेगा। जहां से माल मंगवाते हैं, वहां भी स्टॉक में माल पर्याप्त नहीं है, इसलिए बिक्री से ज्यादा माल आने का इंतजार है। अग्रवाल का कहना है कि इस बार नौकरीपेशा के अलावा ग्रामीण क्षेत्र के लोग भी महंगे परिधान खरीदने से परहेज नहीं कर रहे।
ज्वैलरी की भी हो रही जमकर खरीदारी
बिना ज्वैलरी के दुल्हन की सजावट पूरी नहीं होती और यही वजह है कि इन दिनों ज्वैलरी की दुकानों पर भी लोगों की अच्छीखासी भीड़ नजर आ रही है। शिवपुरी शहर के पीपी ज्वैलर्स के संचालक हिमांशु गोयल का कहना है कि अब तो ज्वैलरी में बहुत सारे डिजाइन व वैरायटी आ गए हैं, इसलिए शादीविवाह में दुल्हन के लिए तथा परिवार की महिलाएं भी अपनी पसंद की ज्वैलरी बनवा रही हैं। उन्होंने बताया कि वर्तमान में लाइट वेट ज्वेलरी व कुंदन ज्वेलरी का अधिक चलन है, तथा इनमें सभी तरह के डिजाइन भी आ रहे हैं। हिमांशु का मानना है कि बिना ज्वेलरी के दुल्हन की सजावट अधूरी रहती है, इसलिए लाइट वेट ज्वेलरी से ही लोग उस कमी को पूरा कर रहे हैं, लेकिन पहले की अपेक्षा इस बार परचेजिंग पॉवर उतनी अच्छी नहीं है। इसकी वजह सोने के दाम अधिक होना भी माना जा सकता है।