शिवपुरी. जिला एवं सत्रन्यायाधीश आरबी कुमार ने आवास योजना की एमबी जारी करने के लिए 5 हजार रुपए की रिश्वत लेने वाले आरोपी उपयंत्री को दोषी मानते हुए उसे 4 साल की कैद व 7 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। मामले में पैरवी शासकीय लोक अभियोजक हजारी लाल बैरवा ने की। मीडिया प्रभारी व एडीपीओ कल्पना गुप्ता ने बताया कि 14 अक्टूबर 2015 को करैरा निवासी अरविंद दुबे ने ग्वालियर लोकायुक्त पुलिस में शिकायत दर्ज करार्इ थी कि उसके भाई दिनेश दुबे ने सरपंच कार्यकाल में सेटलमेंटआवास योजना के तहत 25 कुटीर व एकीकृत आवास योजना के तहत 10 कुटीरों में से 4 का काम पूर्ण करवा दिया था तथा ६ का काम अधूरा था। इस
कार्य की एबी जारी करने के लिए करैरा जनपद कार्यालय में पदस्थ उपयंत्री वीरेन्द्र कुमार व्यास ने उससे ५० हजार रूपए की रिश्वत की मांग की थी। इस शिकायत पर से लोकायुक्त पुलिस ने 20 अक्टूबर 2015 को आरोपी उपयंत्री को उसके घर से 5 हजार रुपए की रिश्वत लेते हुए दबोच लिया था। लोकायुक्त पुलिस ने इस मामले में आरोपी उपयंत्री के खिलाफ मामला दर्जकर चालान न्यायालय में पेश किया था। इस पर सुनवाई के बाद जिला एवं सत्रन्यायाधीश ने गुरुवार को यह फैसला सुनाया। सजा के बाद उपयंत्री को जेल भेजने की कार्रवाई की गईहै।
मारपीट के आरोपियों को 6-6 माह का कारावास
शिवपुरी. पिछोर न्यायालय के जेएमएफसी सुमित शर्मा ने मारपीट के आरोपियों को दोषी मानते हुए 6-6 माह का कारावास व एक-एक हजार रुपए के अर्थदंड की सजा सुनाई है। पैरवी एडीपीओ शैलेन्द्र कुमार शर्मा ने की।
मीडिया प्रभारी व एडीपीओ कल्पना गुप्ता ने बताया कि पिछोर में रहने वाले नरेन्द्र व लालाराम ने ९ मार्च २०१७ को अपने पड़ोस में रहने वाले प्रेमनारायण की लाठियों से जमकर मारपीट कर दी थी। पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपियों के खिलाफ मामला दर्ज कर न्यायालय में चालान पेश किया। इस पर सुनवाई करते हुए न्यायालय ने आरोपियों को सजा सुनाई।
पार्क सीमा में अवैध रूप से घुसने पर 2-2 माह का कारावास: जिला न्यायालय के जेएमएफसी अभिषेक सक्सेना ने नेशनल पार्क सीमा में अवैध रूप से घुसने के मामले में दो लोगों को 2-2 माह का कारावास व 1-1 हजार रुपए अर्थदंड की सजा सुनाई है। मामले में पैरवी एडीपीओ राजवीर सिंह यादव ने की। घटना 20 जून 2018 की जब रात में शहर में रहने वाले दो युवक विजय व दिनेश दोनो नेशनल पार्क में अवैध रूप से घुसते हुए फोरेस्ट टीम ने पकड़ लिया था। पूछताछ में पता चला कि दोनों ने जंगल के अंदर लोहे की रोड से एक गोहरे को मारा था। वन अमले ने इस मामले में दोनों के खिलाफ वन प्राणी अधिनियम के तहत प्रकरण दर्ज कर चालान न्यायालय में पेश किया था। जिस पर सुनवाई के बाद न्यायाधीश ने यह फैसला सुनाया।