scriptराखी बांधते हुए छलक आए आंखों में आंसू | Rakhi tied to old age people in destitute building, given fruits, swee | Patrika News

राखी बांधते हुए छलक आए आंखों में आंसू

locationशिवपुरीPublished: Aug 12, 2022 02:48:34 pm

Submitted by:

sanuel Das

राखी बांधते हुए छलक आए आंखों में आंसूनिराश्रित भवन में वृद्धाओं से बंधवाई राखी, दिए फल, मिठाई व रुपए

 पत्रिका समाचार

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राखी बांधते हुए छलक आए आंखों में आंसू
निराश्रित भवन में वृद्धाओं से बंधवाई राखी, दिए फल, मिठाई व रुपए
शिवपुरी। जिन्हें अपनों ने ठुकराया, उन्हें त्यौहार याद तो रहते हैं, लेकिन वे किसके साथ उसे मनाएं, यह सबसे बड़ा सवाल होता है। बुधवार को रक्षाबंधन पर निराश्रित भवन में रहने वाली वृद्ध बहनों की आंखें उस समय छलक आईं, जब वहां की केयर टेकर ने कहा कि चलो आप लोगों से राखी बंधवाने आए हैं। उम्रदराज इन बहनों ने रेशम का धागा कलाई पर बांधकर मिठाई भी खिलाई और सिर पर हाथ रखकर दिल से आशीर्वाद भी दिया। भाई-बहन के इस त्यौहार पर उन्हें फल, मिठाई व रुपए भी दिए।
शिवपुरी शहर में अस्पताल चौराहे के पास स्थित निराश्रित भवन में रहने वाली वृद्ध बहनों का दर्द पत्रिका ने गुरुवार के अंक में प्रकाशित किया। जिससे प्रेरित होकर भानू दुबे व उनकी पत्नी दीप्ति दुबे खुद को रोक नहीं पाईँ और वे आज दोपहर लगभग 2 बजे राखी, मिठाई, फल आदि लेकर निराश्रित भवन पहुंचे। यहां रहने वाली वृद्ध बहनों को पता चला कि आज उनसे कोई राखी बंधवाने आया है तो कोई अपनी कमर पकडक़र तो कोई दीवार के सहारे कैंपस के बीच स्थित मैदान में रखी बैंच पर आकर बैठ गईं। भानू ने अपना हाथ बढ़ाया तो उनकी कलाई पर राखी बांधने के लिए वृद्धाओं में होड़ सी मच गई। कलाई पर राखी बांधने के दौरान कुछ वृद्धाओं की आंखों से आंसू छलक आए। वृद्ध बहनों से राखी बंधवाने के बाद जब उनके चरण स्पर्श किए तो उन्होंने अपने आंसू पोंछते हुए सिर पर हाथ रखकर आशीर्वाद दिया। सभी वृद्धाएं बोलीं कि आज से हम सभी आपकी बहन हैं।
माथा टटोलकर लगाया तिलक, बांधी राखी
निराश्रित भवन की एक वृद्धा की आंखों में रोशनी कम होने की वजह से वो सहारे से वहा तक आईं और जब उनसे तिलक करने को कहा तो सिर पकडक़र माथा टटोलकर तिलक लगाया। इतना ही नहीं राखी भी उन्होंने उतनी ही आत्मीयता के साथ बांधी, जैसे अपने भाई को बांध रही हों।
फफक-फफक कर रो पड़ीं किरण
निराश्रित भवन में रहने वाली किरण गुप्ता पैरों से लाचार हैं और वे पहियों वाले पटले पर बैठकर आगे बढ़ती हैं। इसलिए वे राखी बांधने के लिए आने में कुछ देर बाद आईं और वहां आकर फूट-फूट कर रोने लगीं। वृद्धा को इस तरह रोते देख दीप्ति दुबे ने उनके पास जाकर जब चुप कराने का प्रयास किया तो वो उनसे लिपटकर रोने लगीं।
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