सीएमएचओ डॉ. एएल शर्मा द्वारा बताया गया कि दस्तक अभियान के दौरान बीमार नवजातों और बच्चों की पहचान प्रबंधन एवं रैफरल तथा बाल्यकालीन निमोनिया की तुरन्त पहचान, प्रबंधन एवं रैफरल, गंभीर कुपोषित बच्चों की सक्रिय पहचान बच्चों में दस्त रोग के नियंत्रण हेतु ओआरएस एवं जिंक के उपयोग संबंधी सामुदायिक जागरूकता को बढ़ावा देना तथा प्रत्येक घर में गृहभेंट के दौरान ओआरएस पहुंचाना। विटामिन-ए अनुपूरण, जन्मजात विकृतियों की पहचान, बाल आहार पूर्ति संबंधी समझाईश देना। एनआरसी से छुट्टी प्राप्त बच्चों में बीमारी की स्क्रीनिंग तथा फॉलोअप को प्रोत्साहन, गृहभेंट के दौरान आंशिक रूप से टीकाकृत एवं छूटे हुए बच्चों की टीकाकरण स्थिति की जानकारी लेना। आशा द्वारा प्रतिदिन नवजात शिशुओं की गृहभेंट दस्तक अभियान के साथ ही एनीमिया मुक्त भारत रणनीति के अंतर्गत स्वास्थ्य विभाग द्वारा स्कूल शिक्षा विभाग तथा महिला एवं बाल विकास विभाग के समन्वय से 6 माह से 19 बर्ष तक के बच्चों में आईएफ, अनुपूरण का क्रियान्वयन भी किया जाएगा। वर्तमान में यह और अधिक मायने रखता कि समस्त बच्चों एवं किशोरवय में निरंतर आईएफ, अनुपूरण जारी रखा जाए, जिससे उनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि की जा सके। उन्हें अन्य बीमारियों के संक्रमण से बचाया जा सके। दस्तक अभियान की पूर्व तैयारियों एवं एनीमिया मुक्त भारत के सफल क्रियान्वयन के लिए जिला स्तरीय बैठक उन्मुखीकरण में जिला शिक्षा अधिकारी दीपक कुमार पाण्डे, जिला कार्यक्रम अधिकारी देवेन्द्र कुमार सुंदरियाल, डीपीसी डीआर कर्ण, जिला टीकाकरण अधिकारी डॉ. संजय ऋषीश्वर, डीपीएम डॉ. शीतल व्यास, डिस्ट्रिक कोडिनेटर ऋषीकांत पाण्डे, जिनेन्द्र जैन भी उपस्थित रहे।