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शिवपुरी में कोरोना को आमंत्रण दे रहे लोग, न मास्क, न ही सोशल डिस्टेंसिंग

locationशिवपुरीPublished: Dec 09, 2020 11:09:28 pm

Submitted by:

shatrughan gupta

शादियों में बदली टायमिंग व कोविड नियम।

शिवपुरी में कोरोना को आमंत्रण दे रहे लोग, न मास्क, न ही सोशल डिस्टेंसिंग

शिवपुरी में कोरोना को आमंत्रण दे रहे लोग, न मास्क, न ही सोशल डिस्टेंसिंग

शिवपुरी. एक ओर जहां प्रशासन रोको-टोको अभियान चलाकर लोगों को मास्क लगाने के साथ-साथ सोशल डिस्टेंसिंग का पाठ पढ़ा रहा है, वहीं दूसरी तरफ होने वाली शादियोंं में यह नियम माता पूजन से ही टूटते नजर आ रहे हैं। बुधवार को मंदिरों पर उमड़ी भीड़ ओर उसमें शामिल लोगों के चेहरों से गायब मास्क को देखकर ऐसा लग रहा था, मानों कोरोना शिवपुरी से अलविदा कह गया हो। इस सीजन की आखिरी सहालग 11 दिसंबर की है और उस दिन होने वाली शादियों के लिए माता पूजन के लिए युवक-युवतियां मंदिरों पर पहुंचीं। प्राचीन राज-राजेश्वरी मंदिर पर स्थिति यह थी कि जितनी महिलाएं व युवतियां मंदिर के अंदर थीं, उतनी ही परिसर में इकट्ठा होकर माता पूजन की प्रक्रिया पूरी कर रही थीं। इस दौरान महिालाओं से लेकर युवतियों के चेहरों से मास्क पूरी तरह गायब था तथा भीड़ अधिक होने की वजह से उनके बीच सोशल डिस्टेंसिंग भी दूर-दूर तक नजर नहीं आ रही थी। स्थिति यह थी कि दो गज की दूरी तो दूर लोग एक-दूसरे को टच करके ही आ-जा पा रहे थे। शहर में होने वाली शादियों में कोरोना से बवाव के नियमों को तोड़ा जा रहा है और इसकी शुरुआत माता पूजन के साथ ही हो जाती है।
कुछ शादियों में बदली टायमिंग
एक तरफ जहां अधिकांश शादियों में कोरोना से बचाव के नियम खूंटी पर टंगे नजर आ रहे हैं, तो वहीं कुछ परिवारों में इन नियमों का पूरी तरह से पालन किया जा रहा है। शादियों के कार्ड बांटने की जगह एक कार्ड छपवाकर उसे वाट्सअप ग्रुप पर अपने परिचितों को भेज दिया तथा फोन करके उन्हें विवाह भोज में आमंत्रित किया जा रहा है। ऐसा करने से जहां विावह में आने वाले लोगों की संख्या सीमित रहती है। इतना ही नहीं अक्सर रात में होने वाला शादी का खाना कुछ जगह तो दिन में ही कर दिया गया।
स्वास्थ्य महकमा आशंकित
शहर में फिलहाल तो कोरोना की स्थिति कुछ हद तक नियंत्रण में है, लेेकिन स्वास्थ्य महकमे के मुखिया सीएमएचओ इसी बात को लेकर आशंकित हैं कि कहीं शादियां फिर स्थिति न बिगाड़ दें। यदि भीड़भाड़ वाली जगह पर रोको-टोको अभियान चलाया जाए तो काफी हद तक आशंकित खतरे को टाला जा सकता है।
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