जानकारी के अनुसार शामावि कुटवारा की इमारत में तीन कमरे हैं और यहां 179 विद्यार्थी अध्यन करते हैं। इमारत के तीनों कमरे बेहद दयनीय स्थिती में हैं, दीवारों में दरारें आ चुकी हैं व ढहने की स्थिति में आ गई हैं। इसके बावजूद स्कूल की इस खराब इमारत में ही बच्चों को बिठाया जा रहा है। अगर इस स्थिति में किसी दिन यह इमारत ढह गई तो उसमें पढऩे वाले बच्चों के साथ कोई भी गंभीर हादसा घटित हो सकता है। खास बात यह है कि इस जर्जर इमारत के संबंध में शिवपुरी से लेकर भोपाल तक शिकायत की जा चुकी है और इसका निरीक्षण भी हो चुका है। इसके बावजूद इसी इमारत में कक्षाओं का संचालन हो रहा है। ऐसे में यह कहना गलत नहीं होगा कि यदि कोई हादसा होता है तो उसके लिए पूरी तरह से प्रशासनिक अधिकारी ही जिम्मेदार होंगे। यहां बताना होगा कि इसी तरह की लापरवाही के कारण बैराड़ में विजयानंद हायर सेकेण्डरी स्कूल की इमारत का एक कक्ष ढह चुका है और उसमें पांच बच्चे मलबे के नीचे दब गए थे। अगर प्रशासन नहीं चेता तो ऐसे ही हादसे की पुनर्रावृति की आशंका से इंकार नहीं किया जा सकता।
अधूरे अतिरिक्त कक्ष, नहीं हुई कार्रवाई
शासकीय माध्यमिक विद्यालय कुटवारा में वर्ष 2012 में तीन अतिरिक्त कक्ष स्वीकृत किए गए थे। इन अतिरिक्त कक्षों का निर्माण आज भी अध्ूारा पड़ा हुआ है, परंतु पंचायत ने कागजों में निर्माण कार्य दर्शाकर पूरा पैसा आहरण कर लिया। सात साल में कई बार अधिकारी इमारत का निरीक्षण कर चुके हैं, परंतु आज तक भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही अतिरिक्त कक्षों का निर्माण पूरा करवाया गया है।
शासकीय माध्यमिक विद्यालय कुटवारा में वर्ष 2012 में तीन अतिरिक्त कक्ष स्वीकृत किए गए थे। इन अतिरिक्त कक्षों का निर्माण आज भी अध्ूारा पड़ा हुआ है, परंतु पंचायत ने कागजों में निर्माण कार्य दर्शाकर पूरा पैसा आहरण कर लिया। सात साल में कई बार अधिकारी इमारत का निरीक्षण कर चुके हैं, परंतु आज तक भ्रष्टाचारियों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई है और न ही अतिरिक्त कक्षों का निर्माण पूरा करवाया गया है।
भ्रष्टाचार की नींव पर बनी इमारत
माध्यमिक विद्यालय की इमारत की दीवारें ढहने की मुख्य वजह यह है कि इस इमारत का निर्माण ही पूरी तरह से भ्रष्टाचार की नींव पर किया गया था। नियमानुसार इस इमारत का निर्माण आरसीसी के पिलरों के साथ किया जाना था परंतु निर्माण के दौरान पिलर देने की बजाय सीधा सीधा ईंट की दीवारें खड़ी कर दी गईं और यह दीवारें अब जमीन के साथ दरकने लगी हैं। इस भ्रष्टाचार में तत्कालीन ठेकेदार एजेंसी, इंजीनियर और वह सभी अधिकारी शामिल रहे, जिन्होंने नियम विरूद्ध बनी इस इमारत को पूर्णता का प्रमाण पत्र जारी किया था।
माध्यमिक विद्यालय की इमारत की दीवारें ढहने की मुख्य वजह यह है कि इस इमारत का निर्माण ही पूरी तरह से भ्रष्टाचार की नींव पर किया गया था। नियमानुसार इस इमारत का निर्माण आरसीसी के पिलरों के साथ किया जाना था परंतु निर्माण के दौरान पिलर देने की बजाय सीधा सीधा ईंट की दीवारें खड़ी कर दी गईं और यह दीवारें अब जमीन के साथ दरकने लगी हैं। इस भ्रष्टाचार में तत्कालीन ठेकेदार एजेंसी, इंजीनियर और वह सभी अधिकारी शामिल रहे, जिन्होंने नियम विरूद्ध बनी इस इमारत को पूर्णता का प्रमाण पत्र जारी किया था।
झोंपड़ी में संचालित हो रही रसोई
यहां बताना होगा कि इस स्कूल में आज तक मध्यान्ह भोजन की रसोई तक नहीं है। यहां पर स्व-सहायता समूह द्वारा त्रिपाल व घांस-फूंस की झोंपड़ी बनाकर बच्चों का मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है। यह बात भी जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में है, परंतु सब जानबूझ कर अनजान बने हुए हैं।
यहां बताना होगा कि इस स्कूल में आज तक मध्यान्ह भोजन की रसोई तक नहीं है। यहां पर स्व-सहायता समूह द्वारा त्रिपाल व घांस-फूंस की झोंपड़ी बनाकर बच्चों का मध्यान्ह भोजन बनाया जा रहा है। यह बात भी जिम्मेदार अधिकारियों के संज्ञान में है, परंतु सब जानबूझ कर अनजान बने हुए हैं।
स्कूल की दीवारों में दरार आने और जर्जर इमारत की जानकारी सीएसी से लेकर वरिष्ठ अधिकारियों तक को है। भोपाल से आई टीम भी इसका निरीक्षण कर चुकी है। ऐसे में पूरा मामला अधिकारियों के संज्ञान में है। अतिरिक्त कक्ष अधूरे पड़े हैं, हम बच्चों को बिठाएं तो कहां बिठाएं, हमारे पास कोई जगह ही नहीं है।
पवन सक्सेना, शाला प्रभारी
पवन सक्सेना, शाला प्रभारी