सेंट बेनेडिक्ट स्कूल परिसर छोटा होने के बावजूद उसी के अंदर बसों को खड़ा किया जाता है। फिर वहीं साइकिल व दूसरे साधन, जिनसे बच्चे आते हैं, वहीं खड़े रहते हैं। इन हालातों के बीच हर दिन ही बच्चे इसी तरह के खतरे के बीच बस में सवार हो रहे हैं। गुडग़ांव में छात्र की हत्या के बाद पुलिस कंट्रोल रूम में बैठक हुई थी, जिसमें पुलिस अधीक्षक, एएसपी, आरटीओ, सीडब्ल्यूसी के सदस्यों के अलावा स्कूल संचालक मौजूद रहे। बैठक में कुछ ऐसी बातें हुईं, मानों कल से ही स्कूल बसों में सब कुछ ठीक हो जाएगा। लगभग दो माह गुजरने को हैं, लेकिन जिम्मेदारों ने अभी तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ फोटो सेशन ही करवाया।
स्कूल बस की चपेट में आने से गंभीर घायल हुए छात्र सार्थक को इलाज के लिए जिला अस्पताल इसलिए लेकर नहीं गए, क्योंकि सभी को पता है वहां डॉक्टर नहीं हैं। जिस प्राइवेट अस्पताल में उसका प्राथमिक उपचार किया गया, उसी अस्पताल की एंबुलेंस को पहले ग्वालियर ले जाने के लिए तैयार किया गया। घायल बच्चे को एंबुलेंस में रखने के बाद जब देखा तो ऑक्सीजन सिलेंडर खाली था, जिसे बदलने में लगभग 15 मिनिट का समय लग गया। लेकिन जैसे ही ड्राइवर ने एंबुलेंस को स्टार्ट किया तो वो आगे ही नहीं बढ़ पाई। एक तरफ बच्चे के लिए एक-एक मिनिट भारी पड़ रहा था, उधर एंबुलेंस शुरू नहीं हो सकी। फिर 108 एंबुलेंस को मंगवाकर उसमें बच्चे को रैफर किया गया। इस पूरी प्रक्रिया में लगभग पौन घंटे का समय लग गया।
बस स्टाफ के वेरीफिकेशन के बारे में स्कूल संचालकों की एसोसिएशन ने बताया था कि उन्होंने करवा लिया है। अब यह हादसा हो गया, तो हम उनकी जांच करवाएंगे। ड्राइविंग लायसेंस भी वेरीफिकेशन के बाद ही बनता है।
सुनील कुमार पांडेय, एसपी
तरुण राठी, कलेक्टर शिवपुरी
फादर वकार, संचालक सेंट बेनेडिक्ट स्कूल