scriptरेस्ट हाउसों पर हर माह 70 हजार का खर्चा, उपयोग नहीं | Settled in one rest house with auto family, people do not stay in othe | Patrika News

रेस्ट हाउसों पर हर माह 70 हजार का खर्चा, उपयोग नहीं

locationशिवपुरीPublished: Aug 10, 2022 04:43:00 pm

Submitted by:

sanuel Das

रेस्ट हाउसों पर हर माह 70 हजार का खर्चा, उपयोग नहींएक रेस्ट हाउस में ऑटो वाला परिवार सहित बसा, दूसरे में नहीं रुकते लोगमहीनों तक टिका रहा पूर्व विधायक का गनमेन, टिड्डी मारने वाले दल के रुके थे सदस्य

साढ़े दस सालों में यात्रा कर केरल पहुंचा अमेरिकी जोड़ा

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रेस्ट हाउसों पर हर माह 70 हजार का खर्चा, उपयोग नहीं
एक रेस्ट हाउस में ऑटो वाला परिवार सहित बसा, दूसरे में नहीं रुकते लोग
महीनों तक टिका रहा पूर्व विधायक का गनमेन, टिड्डी मारने वाले दल के रुके थे सदस्य
शिवपुरी। शिवपुरी जिला मुख्यालय पर एक रेस्ट हाउस में जहां वीआईपी रुकते हैं, वहीं दो अन्य रेस्ट हाउस पर तैनात स्टाफ व बिजली बिल का 70 हजार रुपए का खर्चा किया जा रहा है, लेकिन उसका उपयोग कुछ नहीं हो रहा। उक्त दो रेस्ट हाउस में से एक यंू ही खाली रहता है, जबकि दूसरे में एक ऑटो वाला अपने परिवार सहित निवास कर रहा है। उक्त ऑटो वाले को पीडब्ल्यूडी का गेंगमेन बताया जा रहा है, जबकि वो दिन भर ऑटो चलाता है। महत्वपूर्ण बात यह है कि जिन रेस्ट हाउस में प्रशासनिक अधिकारियों के पत्र से लोग रुकते हैं, वो बदहाल स्थिति में जा पहुंचे हैं।
शिवपुरी शहर में डीजे कोठी वाली रोड पर दो रेस्ट हाउस हैं। जिनमें रेस्ट हाउस नंबर-एक में मुंशी आदिवासी अपने परिवार सहित निवास करता है। वो दिन भर ऑटो चलाता है तथा रात में रेस्ट हाउस के बाहर जहां कार या वीआईपी वाहन रुकना चाहिए, वहां ऑटो खड़ा रहता है। मंगलवार की दोपहर जब इस रेस्ट हाउस पर पत्रिका टीम पहुंची तो वहां मिले बच्चों ने बताया कि हमारे पिताजी ऑटो चलाते हैं और हम सभी परिवार सहित यहीं पर रहते हैं। उक्त रेस्ट हाउस को जहां विभागीय कर्मचारी व अधिकारी कंडम बता रहे हैं, जबकि उसके अंदर के कमरों में टाइल्स का फर्श आदि सब कुछ आज भी ओके लग रहा है। चंूकि इस रेस्ट हाउस में एक परिवार निवास कर रहा है, जबकि विभागीय कर्मचारी इसे कंडम बता रहे हैं। रेस्ट हाउस की देखरेख करने वाले कर्मचारी ने बताया कि मुंशी आदिवासी विभाग में लेवर का काम करता है तथा वो अपनी ड्यूटी पर भी जाता है। रेस्ट हाउस नंबर-1 के कमरों में पलंग आदि भी गायब हैं, जो कभी रुकने वालों के लिए यहां रखे गए होंगे।
दूसरे रेस्ट हाउस में छाई वीरानी
इसी रेस्ट हाउस से कुछ दूरी पर रेस्ट हाउस नंबर-दो है, जिसमें रईस खान नाम का एक कर्मचारी पदस्थ है। इस रेस्ट हाउस में एक स्वीपर व एक सफाईकर्मी भी तैनात हैं, तथा उक्त तीनों कर्मचारियों को 18 से 20 हजार रुपए मासिक वेतन शासन की ओर से मिलता है। इसके अलावा दोनों रेस्ट हाउस में बिजली के कनेक्शन है, जिसका बिल सीधे ही पीडब्ल्यूडी ऑफिस से बिजली कंपनी में जमा हो जाता है। इस रेस्ट हाउस में आचार संहिता लगने के पहले तक लगभग 6 माह से राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त प्रहलाद भारती का गनमेन रुका रहा था। इसके अलावा लगभग एक साल पूर्व जब शिवपुरी में टिड्डी दल के दो सदस्य आए थे, तो इसमें रुके थे।
यह बोला कर्मचारी
मैं स्थाई नहीं हूं तथा मेरा वेतन 20 हजार रुपए है। रेस्ट हाउस नंबर-1 में मुंशी आदिवासी को इसलिए परिवार सहित रोक दिया, ताकि असामाजिक तत्व उसमें न आएं। रेस्ट हाउस में एसडीएम ऑफिस से पत्र आने के बाद ही रोका जाता है।
रईस खान, केयर टेकर रेस्ट हाउस नंबर-2
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