अमेरिका तक पसंद की जाती है शिवपुरी की कचौरी
जायका शिवपुरी की कचौरी का

शिवपुरी. शहर में यूं तो कचोरियां बहुत जगह बनती हैं, लेकिन रमजा की कचौरी की अलग ही बात है। यह अलग बात है कि रमजा के दुनिया छोड़ जाने के बाद उनके बेटों ने इस कारोबार को नहीं चलाया, लेकिन उनकी दुकान पर 25 साल तक काम करने वाले गंगाराम यादव ने इस स्वाद को बनाए रखा। गंगाराम के बेटे रायसिंह यादव ने बताया कि हमारी कचौरी को खाने के लिए शहरवासी तो आते ही हैं, साथ ही दूसरे राज्यों सहित सात समंदर पार अमेरिका तक हमारी कचौरी को लोग लेकर जाते हैं। रायसिंह ने बताया कि मुन्ना मित्तल (टाकीज वाले) के रिश्तेदार अमेरिका में रहते हैं और जब भी वे शिवपुरी आते हैं तो हमारी कचौरी पैक करवाके अपने साथ ले जाते हैं। पहले यह दुकान नरसिंह मंदिर के सामने लगती थी, लेकिन अब कचौरी की दुकान सीताराम मंदिर के सामने लगाते हैं। रायसिंह ने बताया कि हम कचोरी में खड़े मसाले डालते हैं तथा उसमें जो हींग डाली जाती है, वो हाथरस से लेकर आते हैं, जिसका दाम 20 हजार रुपए किलो है। हर दिन 500 से 800 कचौरी की बिक्री होती है ओर कचौरी का रेट भी 8 रुपए प्रति नग है।
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