बायपास पर फूटी लाइन, हजारों गैलन हुआ पानी बर्बाद ग्वालियर बायपास पर कंसाना फार्म हाउस के पास सिंध जलावर्धन योजना के तहत डाली गई पाइप लाइन फूट जाने से तेज प्रेशर के साथ निकला पानी आसपास के इलाकों में भर गया तथा हजारों गैलन पानी बर्बाद हो गया। पाइप लाइन का काम कर रही कंपनी के प्रभारी महेश मिश्रा का कहना है कि सीवर प्रोजेक्ट का काम कर रहे ठेेकेदार के कर्मचारियों ने सीवर लाइन जोडऩे के लिए खुदाई में जेसीबी के वैकेट पाइप लाइन में मार दिया, जिसके चलते लाइन फूट गई। उस लाइन को जोडऩे के लिए पानी की सप्लाई फिर बंद करना पड़ी। अब लाइन दुरुस्ती में फिर लंबा समय लगेगा तथा रिपेयरिंग के बाद फिर लाइन भरने में एक दिन का समय लग जाएगा। यानि शहर में आने वाला सिंध का पानी फिर रुक गया, जिससे जलसंकट गहरा जाएगा।
8 दिन से नहीं आ रही थी सप्लाई सिंध जलावर्धन योजना के तहत होने वाली सप्लाई पिछले आठ दिन से ठप थी। सिंध जलावर्धन की लाइन से भरने वाला हाथीखाना का चौपड़ा संपवेल पर तैनात कर्मचारी ने बताया कि आठ दिन से सप्लाई नहीं आने की वजह से क्षेत्र में नियमित पानी नहीं दे पा रहे हैं तथा जिन ट्यूबवेल से संपवेल भरते हैं, उनमें भी पानी का प्रेशर कम आने की वजह से जितना पानी आता है, उससे सप्लाई नहीं दे पा रहे हैं।
वार्ड 30 की जनता ने घेरा सीएमओ आवास शहर के वार्ड 30 में रहने वाले महिला-पुरुषों ने सोमवार की सुबह प्रभारी सीएमओ गोविंद भार्गव के आवास का घेराव कर दिया। उक्त लोगों का कहना था कि हमारे एरिया में पानी की सप्लाई के लिए सिंध की लाइन को टंकी से नहीं जोड़ा गया है। यदि टंकी से लाइन जुड़ जाएगी तो हमारे घरों में पानी आने लगेगा। पिछले दिनों जब केबीनेट मंत्री यशोधरा राजे सिंधिया शिवपुरी के मानस भावन में आयोजित कार्यक्रम में शामिल होने आईं थीं, तब भी महिलाओं ने घेराव करके उन्हें अपनी समस्या बताई थी। उस समय मंत्री ने आश्वासन देने के साथ लाइन जोडऩे के निर्देश दिए थे, लेकिन पांच दिन बाद भी उस पर अमल नहीं किया गया। प्रभारी सीएमओ ने जनता को आश्वासन दे दिया कि हम जल्दी ही लाइन जुड़वा देंगे।
ट्यूबवेल रिपेयरिंग भी बंद, जनता परेशान शहर के 39 वार्डों में नगरपालिका के लगभग 500 ट्यूबवेल हैं, जिनके माध्यम से शहर की बड़ी आबादी को पानी मिलता है, लेकिन मोटर डालने-निकालने का काम करने वाले ठेकेदारों को भुगतान न होने की वजह से उन्होंने भी काम करना बंद कर दिया है, जिसके चलते अब खराब होने वाले ट्यूबवेल या तो शहरवासी चंदा करके सुधरवा रहे हैं, या फिर खाली कट्टी लेकर पानी की तलाश में यहां-वहां भटक रहे हैं।