शिवपुरी में जब स्मैक के ओवरडोज से एक के बाद एक मौत का सिलसिला शुरू हुआ था तो शहर में रैली-प्रदर्श के अलावा विधानसभा में कोलारस विधायक ने शिवपुरी को उड़ता पंजाब बनने से बचाने की गुहार तक लगाई थी। विधानसभा में जब मामला उठा तो पुलिस ने आनन-फानन में छापामारी करके नशा पकड़ा, लेकिन समय गुजरने के साथ ही नशा फिर से उसी रफ्तार में शहर के साथ ही ग्रामीण अंचल में भी फैलने लगा है।
गौरतलब है कि शिवपुरी शहर में अब गांजा आदि के नशे को पीछे छोड़कर स्मैक ने अपना दायरा बढ़ा लिया। जिला मुख्यालय की स्लम बस्तियों के अलावा पॉश कॉलोनियों में यह नशा बेरोकटोक सप्लाई हो रहा है, जिसकी चपेट में न केवल युवा बल्कि किशोर व युवतियां तक आ चुकी हैं। जिसके चलते जिले के कई परिवार न के वल आर्थिक रूप से कमजोर होते जा रहे हैं, बल्कि अपने बच्चों को बिना नशे के तड़पते हुए देखकर मानसिक परेशान हैं। गरीब परिवार के युवा पहले इस कारोबार में सप्लायर बनकर आए और फिर खुद भी उसके आदी हो गए।
छह माह में 11 मामले दर्ज, 23 आरोपी दबोचे
शिवपुरी जिले में स्मैक की खपत कितनी अधिक है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि पिछले छह माह में 11 मामले दर्ज करके 23 आरोपियों के कब्जे से 32 ग्राम स्मैक पकड़ी है, जिसकी बाजारू कीमत 32 लाख रुपए होती है। पकड़े गए आरोपियों में कुछ सप्लायर तो कुछ पीने वाले ही शामिल हैं।
शिवपुरी शहर में नशे की गिरफ्त में न केवल किशोर व युवा फंस रहे हैं, बल्कि अभी तक कई लोगों की जान भी यह नशा ले चुका है। लगभग चार साल पूर्व 18 वर्षीय युवती की स्मैक के ओवरडोज से मौत हो गई थी, उसके बाद एक पुलिस आरक्षक ने हाथीखाना स्थित आंगनबाड़ी केंद्र के पास दम तोड़ दिया था। इसके अलावा मनियर व लाल माटी सहित गोशाला में तीन अलग-अलग घटनाओं में स्मैक के ओवरडोज से युवक दुनिया छोड़ गए। जिले के एसपी राजेश सिंह चंदेल का कहना है कि स्मैक की जहां से भी पुख्ता सूचना मिलती है, वहां तत्काल पुलिस टीम को भेजकर धरपकड़ की जाती है। समय के अनुसार सप्लाई करने वाले भी बदलते जाते हैं, इसलिए नए सप्लायर की सूचना देर से मिल पाती है।