शिवपुरी

चार माह में तैयार हुई आदिनाथ की 40 टन वजनी प्रतिमा

जैन तीर्थ गोलाकोट जी पर होगी स्थापित
 

शिवपुरीJun 18, 2018 / 11:14 pm

Rakesh shukla

चार माह में तैयार हुई आदिनाथ की 40 टन वजनी प्रतिमा

शिवपुरी/खनियांधाना. जैन समाज के आस्था का केंद्र अतिशय क्षेत्र गोलाकोट पर निर्माणाधीन बड़े बाबा के मंदिर में विराजमान होने के लिए विशाल सवा पन्द्रह फीट ऊंची की मूलनायक भगवान आदिनाथ मनोहारी पद्मासन प्रतिमा बनकर सोमवार को खनियांधाना होते हुए गोलाकोट पहुंची । नगर में पहुंचने पर जगह-जगह स्वागत किया गया तथा लोगों ने प्रतिमा पर स्वास्तिक बनाकर हर्ष व्यक्त किया ।
खनियांधाना के पिछोर रोड पर स्थित गौशाला से सोमवार सुबह 7 बजे ट्रॉला पर रखी हुई प्रतिमा की शोभा यात्रा प्रारंभ हुई जिसमें श्रद्धालु डीजे की धुनों पर भक्ति नृत्य करते हुए चल रहे थे । तिराहे पर पहुंचने पर खनियांधाना के बड़े मंदिर में विराजमान आर्यिका मां पूर्णमति माताजी ने ससंघ पहुंचकर प्रतिमा की अगवानी की तथा प्रतिमा को एवं उसकी मुख मुद्रा को देखकर हर्ष विभोर हो उठीं । जुलूस के साथ में ब्रह्मचारी विनय भैया, गोलाकोट कमेटी के अध्यक्ष एसके जैन पूर्व डीजीपी दिल्ली पुलिस, ा राकेश जैन वास्तुविद तथा जैन समाज के हजारों लोग चल रहे थे।
प्रतिमा के साथ जयपुर से चल रहे खनियाधाना जैन समाज के सत्येंद्र जैन एवं विमलेश जैन ने बताया की लगभग चार माह में जयपुर के प्रख्यात मूर्ति निर्माण कारीगरों की आधा दर्जन लोगों की टीम ने दिन रात मेहनत कर बिजोलिया पत्थर से इस सुंदर मूर्ति का निर्माण किया है।
प्रतिमा का चेहरा इतना सौम्य एवं मनोहारी है कि जब मूर्ति को दिखाने नारेली अजमेर में मुनि सुधासागर को दिखाने ले गए तो वह चेहरे की प्रसन्नता देखकर भाव विभोर हो गए तथा प्रथम बार मूर्ति की मुंह दिखाई के उपलक्ष्य में मुंबई के एक जैन श्रावक में दो लाख पचपन हजार रुपए देकर प्रथम बार इस प्रतिमा के मुख मुद्रा के दर्शन किए। 40 टन वजनी यह प्रतिमा कैसे इतनी दूर जाएगी इस शंका को देखते हुए मुनिश्री ने कहा कि चिंता मत करो यह वाहन तो फूल की भांति गोलाकोट की पहाड़ी पर चढ़ जाएगा । मुनिश्री की यह बात अक्षरश: सत्य साबित हुई और बिना किसी बाधा के सुबह यह मूर्ति गोलाकोट पर पहुंच गई। जहां पर इसे क्रेन से उतार कर निर्माणाधीन बड़े बाबा के जिनालय में रखे जाने का कार्य चल रहा है । लाल पत्थरों से निर्मित होने वाला यह मंदिर विश्व का एक अद्वितीय जैन मंदिर का रूप लेगा जिसके दर्शनों को प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु पहुंच रहे हैं ।
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