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कभी लालबत्ती में घूमती थीं, आज पेट पालने जंगल में चरा रहीं बकरियां

locationशिवपुरीPublished: Aug 26, 2018 10:13:26 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

एक अदद आवास तक के लिए मोहताज पूर्व जिपं अध्यक्ष जूली
 

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कभी लालबत्ती में घूमती थीं, आज पेट पालने जंगल में चरा रहीं बकरियां

शिवपुरी/बदरवास. कहते हैं समय बड़ा बलवान है, यह कब रंक को राजा और राजा को रंक बना दे कोई नहीं कह सकता। इसी का जीता जागता उदाहरण है, जिला पंचायत अध्यक्ष रही जूली आदिवासी। यह महिला कभी लालबत्ती कार में घूमा करती थी और बड़े बड़े अधिकारी ‘मैडम’ कह कर संबोधित करते थे। आज यह महिला गुमनामी के अंधेरे में बदरवास जनपद की ग्राम पंचायत रामपुरी के ग्राम लुहारपुरा में अपने परिवार के पालन पोषण तक के लिए जद्दोजहद कर रही है। जिला पंचायत अध्यक्ष के पद पर आसीन रही गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली इस महिला को इंदिरा आवास योजना के तहत कुटीर तो स्वीकृत हुई परंतु वह भी भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ गई। इस कारण यह एक अदद आवास तक के लिए मोहताज है।
उल्लेखनीय है कि कोलारस के पूर्व विधायक रामसिंह यादव के यहां मजदूरी करने वाली महिला जूली आदिवासी को उन्होंने वर्ष २००५ में वार्ड क्रमांक-३ से जिला पंचायत सदस्य बनाया था, बाद में शिवपुरी के पूर्व विधायक वीरेन्द्र रघुवंशी ने उसे जिला पंचायत अध्यक्ष की आसंदी तक पहुंचा दिया। पांच साल तक उसे राज्य मंत्री का दर्जा दिया गया और अधिकारी उसे मैडम कहकर संबोधित करते थे। आज वही महिला पेट पालने के लिए बकरियां चरा रही है। सरकारी दस्तावेजों में तो उसे इंदिरा गांधी आवास योजना का लाभ मिल चुका है, परंतु जमीनी हकीकत यह है कि सरकारी जमीन पर बनी उसकी झोंपड़ी भी रहने लायक नहीं है। जूली बताती है कि उसे आवास योजना की एक किस्त तो जारी कर दी गई परंतु उसके बाद एक रुपया भी नहीं मिला। इस कारण आवास बनाने के लिए खरीदी गई ईंटें भी जैसी की तैसी झोंपड़ी के बाहर रखी हुई हैं। बकौल जूली उसे एक बकरी चराने के एवज में ५० रुपए महीने मिलते हैं, वह इस समय ५० बकरियों को चराकर अपने परिवार का पालन कर रही है। उसके अनुसार जब बकरियां नहीं होती हैं तो वह मजदूरी करने खेतों पर चली जाती है और जब खेतों पर मजदूरी नहीं मिलती तो गुजरात जाकर मजदूरी करनी पड़ती है, ताकि पेट पाल सके। जूली को इस बात का दुख है कि जिन लोगों ने कभी उसका उपयोग करके पैसा और पहचान बनाई वह अब उसे पहचानने तक से इंकार कर देते हैं।
अधिकारियों ने दुत्कार कर भगा दिया
जूली कहती है कि वह प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत स्वीकृत हो रहे मकानों के लिए जब सेक्रेट्री और जनपद पंचायत पहुंची तो वहां से उसे अधिकारियों ने भी दुत्कार कर भगा दिया। उसकी खुद की झोंपड़ी इस हालत में नहीं है कि उसमें वह अपने परिवार के साथ रह सके।
निजी स्कूल में पढऩे वाले बच्चे कर रहे मजदूरी
जूली आदिवासी के यहां दो लड़कियां तथा तीन लडक़े हैं। जूली कहती हैं कि जब वह जिला पंचायत अध्यक्ष बनी तो उसके सभी बच्चों का एडमीशन अधिकारियों ने प्रायवेट स्कूल में करवा दिया था, वह पढऩे जाते थे और उन्हें पढ़ाने के लिए टीचर भी आता था। आज वही बच्चे मजदूरी करने को मजबूर हैं। उनका किसी सरकारी स्कूल तक में एडमिशन नहीं है।
यह मामला आपके द्वारा मेरे संज्ञान में लाया गया है। यदि पूर्व जिपं अध्यक्ष की कुटीर में किसी तरह का भ्रष्टाचार हुआ है और उसे राशि नहीं मिली तो शिकायत मिलने पर मैं मामले की जांच करवा कर उचित कार्रवाई करूंगा।
दिनेश शाक्य, जनपद सीईओ
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