शिवपुरी

मेहनत कर मजदूर से बनीं सफल किसान

बरोदी गांव की लक्ष्मी जाटव पहले एक मजदूर थी, अब वे अपनी मेहनत के दम पर सफल किसान हैं। करैरा अनुविभाग के ग्राम बरोदी गांव की लक्ष्मी जाटव ने जो कभी परिवार के लिए खेतों में मजदूरी करतीं थीं, लेकिन अब अपने मेहनत और हौंसले के दम पर एक कामयाब किसान होने के साथ-साथ एक फल बागान की मालकिन हैं।

शिवपुरीFeb 09, 2021 / 10:58 pm

rishi jaiswal

मेहनत कर मजदूर से बनीं सफल किसान

शिवपुरी/करैरा. किसी शायर ने कहा है जिंदगी जिंदादिली का नाम है, मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं, जिंदादिली की यह मिसाल पेश की है, शिवपुरी जिले के करैरा अंतर्गत आने वाले बरोदी गांव की लक्ष्मी जाटव ने। लक्ष्मी पहले एक मजदूर थी, अब वे अपनी मेहनत के दम पर सफल किसान हैं। करैरा अनुविभाग के ग्राम बरोदी गांव की लक्ष्मी जाटव ने जो कभी परिवार के लिए खेतों में मजदूरी करतीं थीं, लेकिन अब अपने मेहनत और हौंसले के दम पर एक कामयाब किसान होने के साथ-साथ एक फल बागान की मालकिन हैं।

आर्थिक तंगी से जूझ रहीं लक्ष्मी को जब गांव की कुछ महिलाओं ने आजीविका मिशन के समूह के बारे में बताया। पहले तो उन्होंने इस पर ध्यान नहीं दिया, फिर वे 2 साल बाद लक्ष्मी जय भीम स्वसहायता समूह से जुड़ गईं। बेटी को पढ़ाने के लिए समूह से 2 हजार रुपए का लोन लिया। इससे लक्ष्मी की हिम्मत बढ़ गई। उन्होंने लगातार समूह से जुड़े रह कर काम करना शुरू कर दिया। शुरुआत में लक्ष्मी ने 20 हजार का लोन लेकर घर में ही छोटी दुकान शुरू की। इससे लक्ष्मी की मजदूरी छूट गई, इसका फायदा ये हुआ कि उन्हें खुद के खेत में काम करने के लिए भी वक्त मिलने लगा। इसी दौरान लक्ष्मी सृजन संस्था के संपर्क में आईं, यहीं से उन्हें लघु बागवानी का बगीचा लगाने की प्रेरणा मिली।
रसायन फ्री फलोत्पादन
सृजन संस्था के अधिकारी सुशांत भी लक्ष्मी को मेहनती बताते हैं। उन्होंने कहा कि लक्ष्मी ने महिलाओं के लिए मिशाल पेश की है। साथ ही रसायन फ्री फलोत्पादन से अपनी आय भी दोगुनी की है, अगर लोग इसी तरह नए प्रयोग करें, तो वे न सिर्फ आत्मनिर्भर होंगे बल्कि भारत का सपना भी साकार होगा।

540 वर्ग मीटर में शुरू की लघु बागवानी
लक्ष्मी ने पहले 540 वर्ग मीटर में लघु बागवानी शुरू की, कड़ी मेहनत के दम पर पहले ही साल में 20 हजार का मुनाफा हुआ। उसके बाद उन्होंने जैविक खाद का उपयोग किया, धीरे-धीरे लघु बागवानी को का रकबा बढ़ता चला गया। आज वे 2 बीघा जमीन पर बागवानी कर रहीं हैं, उन्होंने अब जौविक खाद के उपयोग के जरिए परंपरागत खेती भी शुरू की है।
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