जहर खाने पर फाइनेंस कंपनी के कर्मचारी उड़ाते रहे मजाक और कर्जदार की हो गई मौत
शिवपुरीPublished: Jan 04, 2018 10:30:48 pm
कर्मचारी यदि समय पर जहर खाने वाले कर्जदार को अस्पताल ले जाते तो उसकी जान बच सकती थी
शिवपुरी। कोतवाली थानांतर्गत डीएलएचएफ फायनेंस कंपनी के कार्यालय में जहर खाकर मौत को गले लगाने वाले कर्जदार को यदि कंपनी के कर्मचारी समय पर अस्पताल ले जाते तो शायद उसकी जान बच जाती। खास बात यह है कि जहर खाने के बाद जब कर्जदार ने कर्मचारियों को यह बात बताई तो वह उसे अस्पताल ले जाने की बजाय उसका मजाक उड़ाते रहे और उसे चारों ओर से घेर कर धमकाते रहे। मृतक की बेटी का कहना है कि प्रदीप सेंगर ने ही लोन स्वीकृत कराया था और वही लोन की रिकवरी के लिए लगातार उसके पिता पर दबाव डाल रहा था।
उल्लेखनीय है कि पीडब्ल्यूडी कर्मचारी राजेश पुत्र वंशीलाल ओझा ने बुधवार की दोपहर फायनेंस कंपनी के कार्यालय में जहर खा लिया था, जिसकी बाद में ग्वालियर ले जाते समय उसकी मौत हो गई। इस मामले में मृतक की बेटी सोनम ओझा का कहना है उसके पिता ने आत्महत्या इसलिए की है क्योंकि कंपनी उस पर किस्त भरने के लिए दबाव बना रही थी। इसके लिए कंपनी के कर्मचारी और प्रदीप सेंगर आए दिन घर पर चक्कर काटते थे। शनिवार को भी कुछ लोगों ने आकर पिता को धमकाया था। राजेश के पड़ोसियों ने भी इस बात की पुष्टि की है कि उसके यहां कई बार चार छह लोग आते और उसे धमकाते थे। बुधवार को प्रदीप सेंगर ही राजेश को फायनेंस कंपनी के कार्यालय ले गया, जहां उस पर दबाव बनाया गया। विश्वसनीय सूत्रों की मानें तो मृतक ने जहर खाने के बाद जब फायनेंस कंपनी के कर्मचारियों को यह बताया कि उसने जहर खा लिया है तो वह उसका न सिर्फ मजाक उड़ाते रहे बल्कि उस पर दबाव बनाना भी जारी रखा। यदि कंपनी के कर्मचारी उसे समय पर अस्पताल ले जाते तो राजेश शायद मौत के आगोश में नहीं समाता। वहीं इस मामले में कंपनी के कर्मचारियों का कहना है कि उन्हें जब यह बात पता चली तो वह सीधे कोतवाली गए, डायल १०० को फोन लगाया। इसके बाद राजेश को अस्पताल ले जाया गया। इस दौरान लगभग आधा घंटे का समय खराब हो गया था।
डंडा बैंक संचालक की पिटाई से भी था क्षुब्ध
राजेश ओझा ने मरने से पहले जो बयान मीडिया को दिए उनमें उसने स्पष्ट रूप से उल्लेख किया कि प्रदीप सेंगर ने उसे प्लॉट फायनेंस कराया था जिसके एवज में वह उससे 50 हजार रूपए की मांग कर रहा था। पैसे न देने पर प्रदीप सेंगर ने उसकी मारपीट भी की, जिससे वह क्षुब्ध था। उसने मनोज भार्गव नामक एक अन्य व्यक्ति का नाम भी मरने से पहले लिया। बकौल राजेश, मनोज भार्गव ने उसके खाते से एक लाख रूपए निकाल लिए थे। प्रदीप सेंगर मृतक का मित्र बताया जा रहा है और दोनों के बीच उधार पैसों के लेन देन के चर्चे भी हैं।