शहर के छत्री रोड पर प्राचीन भुजरिया तालाब है। इस तालाब के अस्तित्व को खत्म करने पर भू-माफिया इस कदर हावी हो गए कि उसके चारों तरफ से भराव करके तालाब के अंदर भवन निर्माण किए जा रहे हैं। कब्जा करने से पहले मिट्टी व रॉ-मटेरियल को तालाब किनारे पानी में डालकर उसका भराव करते हैं। जब वो जगह पक्की हो जाती है तो फिर एक चबूतरा या पार्क बनाकर उस जगह को कुछ समय के लिए यूं ही छोड़ दिया जाता है, ताकि किसी को कोई आपत्ति हो या फिर प्रशासन यदि कार्रवाई करे तो ज्यादा नुकसान न हो। कब्जेधारी को जब कन्फर्म हो जाता है कि अब उसका कब्जा नहीं हटेगा तो फिर वो उस पर पक्का निर्माण कर लेता है।
तालाब में राजस्व वालों का कब्जा
इस तालाब के किनारों पर भवन बनाकर कब्जा करने वालों में अधिकांश राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी हैं। जिनमें पटवारी से लेकर रिटायर्ड राजस्व कर्मचारी शामिल हैं और ये इसलिए कब्जा किए हुए हैं, क्योंकि जमीनों का हेरफेर करने में यह लोग माहिर होते हैं।
इस तालाब के किनारों पर भवन बनाकर कब्जा करने वालों में अधिकांश राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी हैं। जिनमें पटवारी से लेकर रिटायर्ड राजस्व कर्मचारी शामिल हैं और ये इसलिए कब्जा किए हुए हैं, क्योंकि जमीनों का हेरफेर करने में यह लोग माहिर होते हैं।
तालाब में बन चुके हैं कई मकान
भुजरिया तालाब के अंदर तक अभी कुछ मकान बन गए हैं, लेकिन यदि प्रशासन की ऐसी ही अनदेखी रही तो फिर धीरे-धीरे यह तालाब भी दूसरे तालाबों की तरह ख्त्म हो जाएगा तथा यहां पानी की जगह पक्के भवन नजर आएंगे। क्योंकि तालाब की सभी साइडों में भराव करके हर दिन नए एरिया का भराव करके उसके आकार को कम किया जा रहा है। यदि तालाब में कब्जों की रफ्तार ऐसी ही रही तो आगामी एक साल में तालाब का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
भुजरिया तालाब के अंदर तक अभी कुछ मकान बन गए हैं, लेकिन यदि प्रशासन की ऐसी ही अनदेखी रही तो फिर धीरे-धीरे यह तालाब भी दूसरे तालाबों की तरह ख्त्म हो जाएगा तथा यहां पानी की जगह पक्के भवन नजर आएंगे। क्योंकि तालाब की सभी साइडों में भराव करके हर दिन नए एरिया का भराव करके उसके आकार को कम किया जा रहा है। यदि तालाब में कब्जों की रफ्तार ऐसी ही रही तो आगामी एक साल में तालाब का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
तालाब के दस्तावेेजों में भी कर दिया घोटाला
सिंधिया स्टेट के समय में बनाए गए तालाबों में से कुछ तालाब मछली पालन व सिंघाड़ा उत्पादन के लिए एक समुदाय विशेष के लोगों को पट्टे पर दिए जाते थे। भुजरिया तालाब भी ऐसे ही ढीमर जाति के लोगों को पट्टे पर दिया गया था। बाद में शहर के भू-माफिया ने ढीमरों से उक्त तालाब के पट्टे की जमीन को राजस्व रिकार्ड में अपने नाम करवा ली। बड़ा सवाल यह है कि क्या सार्वजनिक तालाब की जमीन किसी के नाम पर हो सकती है?। लेकिन यह आश्चर्य शिवपुरी में भू-माफिया के साथ मिलकर राजस्व अधिकारियों ने कर दिया।
सिंधिया स्टेट के समय में बनाए गए तालाबों में से कुछ तालाब मछली पालन व सिंघाड़ा उत्पादन के लिए एक समुदाय विशेष के लोगों को पट्टे पर दिए जाते थे। भुजरिया तालाब भी ऐसे ही ढीमर जाति के लोगों को पट्टे पर दिया गया था। बाद में शहर के भू-माफिया ने ढीमरों से उक्त तालाब के पट्टे की जमीन को राजस्व रिकार्ड में अपने नाम करवा ली। बड़ा सवाल यह है कि क्या सार्वजनिक तालाब की जमीन किसी के नाम पर हो सकती है?। लेकिन यह आश्चर्य शिवपुरी में भू-माफिया के साथ मिलकर राजस्व अधिकारियों ने कर दिया।