scriptशहर के भुजरिया तालाब का अस्तित्व खतरे में | The existence of the city's Bhujaria pond is in danger | Patrika News

शहर के भुजरिया तालाब का अस्तित्व खतरे में

locationशिवपुरीPublished: Jun 20, 2021 10:23:10 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

तालाब के अंदर भवन निर्माणों की होड़, जिम्मेदारों की मौन स्वीकृति
मंदिर का चबूतरा व पार्क बनाकर करते हैं तालाब में कब्जे की तैयारी

शहर के भुजरिया तालाब का अस्तित्व खतरे में

शहर के भुजरिया तालाब का अस्तित्व खतरे में

शिवपुरी। शहर के 18 तालाबों में से 14 तालाबों को खत्म करने के बाद अब भू-माफिया की नजर एक और तालाब पर पड़ गई। तालाब के किनारों का भराव करके उसमें भवन बनाने की होड़ ऐसी मची हुई है कि किसी ने पार्क बनाकर तालाब पर कब्जा कर लिया तो किसी ने मंदिर का चबूतरा बनाकर उसकी आड़ में अपना निर्माण शुरू कर दिया। शहर के बीचोंबीच स्थित तालाब के अंदर कब्जे हो रहे हैं तथा जिम्मेदार सब कुछ जानकर भी अनजान बने हुए हैं। यदि समय रहते प्रशासन व नगरपालिका ने ध्यान नहीं दिया तो शहर के इस तालाब का अस्तित्व खत्म हो जाएगा।
शहर के छत्री रोड पर प्राचीन भुजरिया तालाब है। इस तालाब के अस्तित्व को खत्म करने पर भू-माफिया इस कदर हावी हो गए कि उसके चारों तरफ से भराव करके तालाब के अंदर भवन निर्माण किए जा रहे हैं। कब्जा करने से पहले मिट्टी व रॉ-मटेरियल को तालाब किनारे पानी में डालकर उसका भराव करते हैं। जब वो जगह पक्की हो जाती है तो फिर एक चबूतरा या पार्क बनाकर उस जगह को कुछ समय के लिए यूं ही छोड़ दिया जाता है, ताकि किसी को कोई आपत्ति हो या फिर प्रशासन यदि कार्रवाई करे तो ज्यादा नुकसान न हो। कब्जेधारी को जब कन्फर्म हो जाता है कि अब उसका कब्जा नहीं हटेगा तो फिर वो उस पर पक्का निर्माण कर लेता है।
तालाब में राजस्व वालों का कब्जा
इस तालाब के किनारों पर भवन बनाकर कब्जा करने वालों में अधिकांश राजस्व विभाग के अधिकारी-कर्मचारी हैं। जिनमें पटवारी से लेकर रिटायर्ड राजस्व कर्मचारी शामिल हैं और ये इसलिए कब्जा किए हुए हैं, क्योंकि जमीनों का हेरफेर करने में यह लोग माहिर होते हैं।
तालाब में बन चुके हैं कई मकान
भुजरिया तालाब के अंदर तक अभी कुछ मकान बन गए हैं, लेकिन यदि प्रशासन की ऐसी ही अनदेखी रही तो फिर धीरे-धीरे यह तालाब भी दूसरे तालाबों की तरह ख्त्म हो जाएगा तथा यहां पानी की जगह पक्के भवन नजर आएंगे। क्योंकि तालाब की सभी साइडों में भराव करके हर दिन नए एरिया का भराव करके उसके आकार को कम किया जा रहा है। यदि तालाब में कब्जों की रफ्तार ऐसी ही रही तो आगामी एक साल में तालाब का अस्तित्व पूरी तरह से खत्म हो जाएगा।
तालाब के दस्तावेेजों में भी कर दिया घोटाला
सिंधिया स्टेट के समय में बनाए गए तालाबों में से कुछ तालाब मछली पालन व सिंघाड़ा उत्पादन के लिए एक समुदाय विशेष के लोगों को पट्टे पर दिए जाते थे। भुजरिया तालाब भी ऐसे ही ढीमर जाति के लोगों को पट्टे पर दिया गया था। बाद में शहर के भू-माफिया ने ढीमरों से उक्त तालाब के पट्टे की जमीन को राजस्व रिकार्ड में अपने नाम करवा ली। बड़ा सवाल यह है कि क्या सार्वजनिक तालाब की जमीन किसी के नाम पर हो सकती है?। लेकिन यह आश्चर्य शिवपुरी में भू-माफिया के साथ मिलकर राजस्व अधिकारियों ने कर दिया।
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