खेल मंत्री के जिले में खेल मैदान बदहाल, कहां खेलें खिलाड़ी
शहर में खेल प्रतिभाओं को आगे बढऩे के लिए सबसे जरूरी है खेल मैदान, लेकिन उनकी हालत ही बद से बदतर होती जा रही है। यह हालात तब हैं, जबकि शिवपुरी विधायक ही प्रदेश की खेल मंत्री भी हैं, बावजूद इसके शहर के दो बड़े खेल मैदान दुर्दशा का शिकार होते जा रहे हैं।

शिवपुरी. शहर में खेल प्रतिभाओं को आगे बढऩे के लिए सबसे जरूरी है खेल मैदान, लेकिन उनकी हालत ही बद से बदतर होती जा रही है। यह हालात तब हैं, जबकि शिवपुरी विधायक ही प्रदेश की खेल मंत्री भी हैं, बावजूद इसके शहर के दो बड़े खेल मैदान दुर्दशा का शिकार होते जा रहे हैं। पोलोग्राउंड जहां कचराघर में तब्दील होता जा रहा है, वहीं गांधी पार्क मैदान व्यवसायिक कारोबार होने की वजह से अधिकांशत: घिरा रहता है। विधायक के निज सचिव का कहना है कि फिजिकल ग्राउंड व स्टेडियम में सभी तरह की सुविधाएं हैं, हालांकि उन्होंने इन मैदानों की दशा भी सुधारने की बात कही।
पोलोग्राउंड की बदहाली की कहानी
सिंधिया स्टेट के समय में शिवपुरी मे पोलो (घोड़ों पर बैठकर हॉकी) खेला जाता था, जिसके लिए बना ग्राउंड ही पोलोग्राउंड है। यह मैदान कलेक्ट्रेट व नगरपपालिका के ठीक सामने हैं, बावजूद इसके इस खेल मैदान को कचराघर बनाया जा रहा है। लगभग 12 साल पूर्व इस मैदान की एक साइड की सीढिय़ों को नपा ने यह कहते हुए तोड़ दिया था कि यहां पर पवेलियन बनाया जाएगा। लेकिन अभी तक न तो पवेलियन बन पाया और ना ही वो सीढिय़ा फिर से बनाई गईं। अब उन टूटी हुई सीढिय़ों के रास्ते से आकर आसपास के दुकानदार अपना कचरा मैदान में फेंक रहे हैं। यह हालात तब हैं, जबकि इस खेल मैदान में हर दिन सुबह से लेकर देर शाम तक खिलाडिय़ों की भीड़ व घूमने के लिए लोग आते हैं। चूंकि यह मैदान शहर के बीच में है, इसलिए यहां पर अधिकांश लोग सुबह-शाम घूमने भी आते हैं। उस कचरे से उठने वाला प्रदूषण खेल मैदान में मिलने वाली शुद्ध हवा को भी दूषित कर रहा है।
अधिकांश घिरा रहता है गांधी पार्क
शहर का दूसरा बड़ा खेल मैदान गांधी पार्क है, जो शहर के बीचोंबीच होने की वजह से आसपास के खिलाड़ी व बच्चे यहां खेलने के लिए आते हैं। इतना ही नहीं बाजार के लोग भी यहां सुबह-शाम घूमने आते हैं। इस खेल मैदान पर नगरपालिका का अधिकार है, इसलिए यहां पर अक्सर कोई न कोई आयोजन होते रहते हैं, जिसके चलते यह मैदान अक्सर घिरा रहता है। मैदान के व्यवसायिक उपयोग के चलते खिलाडिय़ों को खेलने के लिए जगह ही नहीं मिल पाती है। खेल मैदानों की ऐसी हालत के बीच आखिर शहर के खेल प्रतिभाएं कैसे अपने कैरियर की शुरुआत कर पाएंगीं?, जब उनके खेलने के लिए साफ-सुथरा मैदान ही नहीं होगा।
पोलोग्राउंड का नहीं कोई धनी-धोरी
कलेक्ट्रेट व नगरपालिका के सामने स्थित पोलोग्राउंड का कोई धनीधोरी नहीं है। दस्तावेजों में यह खेल मैदान उत्कृष्ट विद्यालय में पढऩे वाले बच्चों के खेलने के लिए आबंटित है, लेकिन स्कूल प्राचार्य भी अपने स्कूल के नाम से मिले इस खेल मैदान की दशा सुधारने में कोई दिलचस्पी नही दिखा रहे।
सुधरवाएंगे दशा
वैसे शिवपुरी में खेलने व घूमने के लिए स्टेडियम व फिजीकल ग्राउंड है, जहां पर विभिन्न तरह की खेल गतिविधियां होती हैं। पोलोग्राउंड को कौन लोग कचराघर बना रहे हैं, यह हम दिखवाते हैं और उसकी दशा भी सुधरवाएंगे।
राजेंद्र शिवहरे, निच सचिव, खेल मंत्री
मैं दिखवाता हूं, कौन है मालिक
मैं पता करवाता हूं कि पोलोग्राउंड का अधिकार किसके पास है। हम पता करवाकर उसको सुधार करवाएंगे तथा वहां पर साफ-सफाई होती रहे, ताकि खेल मैदान बेहतर बना रहे।
अक्षय कुमार सिह, कलेक्टर शिवपुरी
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