शिवपुरी

जिन गरीबों को नहीं मिली अर्थी, उनके परिजनों की किसी ने नहीं ली सुध

गांव वालों ने लकड़ी इकट्ठी कर किया था अंतिम संस्कार, रुपए उधार लेकर गए अस्थि विसर्जन को
 

शिवपुरीDec 24, 2017 / 11:04 pm

shyamendra parihar

शिवपुरी. सांसद के आदर्श गांव सिरसौद के ग्राम अमोला में रहने वाले गरीब मजदूर दो सगे भाइयों सहित तीन लोगों की छह दिन पर्व सडक़ हादसे में इतनी दर्दनाक मौत हुई थी कि शरीर के टुकड़े पोटली में रखने पड़े तथा उन्हें अर्थी तक नसीब नहीं हुई। इन परिवारों की आर्थिक स्थिति इतनी कमजोर है कि उनके अंतिम संस्कार के लिए गांव वालों ने लकड़ी इकट्ठी की थीं तथा अस्थि विसर्जन के लिए उधार रुपए लेने पड़े। बीपीएल परिवारों के मजदूर युवकों की दर्दनाक मौत के बाद भी परिजनों ने लाश रखकर चक्काजाम नहीं किया, शायद इसीलिए हादसे के सात दिन गुजरने के बाद भी उनके घर न तो जनप्रतिनिधि पहुंचे और न ही प्रशासन का कोई नुमाइंदा। यह स्थिति तब है, जबकि हादसे के बाद कलेक्टर ने कहा था कि हम अपने कर्मचारी भेजकर गरीब परिवारों की मदद करेंगे।
गौरतलब है कि बीते 18 दिसंबर की सुबह कोटा भगौरा गांव के पास फोरलेन सडक़ पर ट्रक की टक्कर में बाइक सवार तीन युवकों की मौत हो गई थी। मरने वालों में धर्मेन्द्र व करन जाटव सगे भाई थे, तथा इनके पिता धर्मा की मौत के बाद से पूरे परिवार की जिम्मेदारी महेंद्र के कंधों पर ही थी। इस हादसे में तीसरे मृतक रिंकू के पिता की भी मौत हो चुकी थी तथा रिंकू ही अपने परिवार का भरण पोषण करने वाला मुखिया था। महेंद्र के दो छोटे बच्चे 8 साल का बेटा रिशी तथा 6 साल की बेटी सपना है। परिवार में बूढ़ी माँ, दो मासूम बच्चे, पत्नी व एक भाई रह गया। सडक़ हादसे में इन युवकों के शरीर टुकड़ों में बंट गए थे, इसलिए उन्हें एक पोटली में रखकर पीएम के बाद वाहन में ही घर ले जाया गया था।
वकील लगा रहे चक्कर
अमोला के तीनों युवकों की मौत सडक़ हादसे में हुई। टक्कर मारने वाले ट्रक में भी आग लगने से वो भाग भी नहीं सका। चूंकि मरने वाले तीनों युवक नई उम्र के थे, इसलिए उनके एक्सीडेंट क्लेम की राशि भी अच्छी मिलेगी। यही वजह है कि इन पीडि़त परिवारों के बीच जनप्रतिनिधि या प्रशासन भले ही नहीं पहुंचा, लेकिन करैरा व ग्वालियर तक के वकील उनके परिजनों से मिलने के लिए चक्कर लगा रहे हैं। क्योंकि वकीलों को क्लेम की राशि में से प्रतिशत के आधार पर फीस होती है।
संस्कारों के लिए किया उधार
अंतिम संस्कार तो गांव वालों की मदद से हो गया, लेकिन अस्थि विसर्जन के लिए भी जब पैसा नहीं था तो गांव के लोगों से ही 5 हजार रुपए उधार लेकर परिवार के सदस्य यह सामाजिक संस्कार पूरा करने गए। जबकि गरीब बीपीएल परिवार के सदस्य की मौत के बाद आकस्मिक योजना के तहत अंतिम संस्कार के लिए राशि दी जाती है। इतना ही नहीं मजदूर की मौत पर 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता तत्काल दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन सहायता राशि मिलना तो दूर, कोई इन दुखी पीडि़त परिवारों को सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा।
राजनीति भी मंच तक सिमटी
कोलारस उपचुनाव को लेकर आए दिन हो रहीं मुख्यमंत्री व मंत्रियों की सभाओं में यह दावे किए जा रहे हैं कि यह सरकार गरीबों की है और उन्हें आगे रखकर ही योजनाएं बनाईगईं। लेकिन मंत्रियों की यह बात भी मंच तक ही सिमट कर रह गई, जबकि हकीकत यह है कि अमोला के तीन मजदूर युवकों की दर्दनाक मौत के बाद उन परिवारों की सुध लेने कोई नहीं गया। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की सभा में शामिल होने आए पोहरी के ग्राम चकराना में रहने वाले तुलसी आदिवासी की मौत के बाद भी उसके परिजनों की सुध किसी ने नहीं ली।
हमने तो कागज कंपलीट करके तहसीलदार साहब को भेज दिए। राहत राशि तो उनके द्वारा ही जारी की जाएगी। हमने तो अपना काम कर दिया, लेकिन अब काम वरिष्ठ अधिकारियों को करना है।
नीरज लोधी, पटवारी सिरसौद
मैंने उसी दिन एसडीएम को कह दिया था। यदि परिवार का बीपीएल कार्ड है तो उसे परिवार सहायता के तहत 20 हजार रुपए की राशि भी दी जाएगी। मैं अभी पता करवाता हूं कि उन परिवारों को क्या मदद मिली है।
तरुण राठी, कलेक्टर शिवपुरी
 
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