संस्कारों के लिए किया उधार
अंतिम संस्कार तो गांव वालों की मदद से हो गया, लेकिन अस्थि विसर्जन के लिए भी जब पैसा नहीं था तो गांव के लोगों से ही 5 हजार रुपए उधार लेकर परिवार के सदस्य यह सामाजिक संस्कार पूरा करने गए। जबकि गरीब बीपीएल परिवार के सदस्य की मौत के बाद आकस्मिक योजना के तहत अंतिम संस्कार के लिए राशि दी जाती है। इतना ही नहीं मजदूर की मौत पर 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता तत्काल दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन सहायता राशि मिलना तो दूर, कोई इन दुखी पीडि़त परिवारों को सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा।
अंतिम संस्कार तो गांव वालों की मदद से हो गया, लेकिन अस्थि विसर्जन के लिए भी जब पैसा नहीं था तो गांव के लोगों से ही 5 हजार रुपए उधार लेकर परिवार के सदस्य यह सामाजिक संस्कार पूरा करने गए। जबकि गरीब बीपीएल परिवार के सदस्य की मौत के बाद आकस्मिक योजना के तहत अंतिम संस्कार के लिए राशि दी जाती है। इतना ही नहीं मजदूर की मौत पर 20 हजार रुपए की आर्थिक सहायता तत्काल दिए जाने का प्रावधान है। लेकिन सहायता राशि मिलना तो दूर, कोई इन दुखी पीडि़त परिवारों को सांत्वना देने तक नहीं पहुंचा।
राजनीति भी मंच तक सिमटी
कोलारस उपचुनाव को लेकर आए दिन हो रहीं मुख्यमंत्री व मंत्रियों की सभाओं में यह दावे किए जा रहे हैं कि यह सरकार गरीबों की है और उन्हें आगे रखकर ही योजनाएं बनाईगईं। लेकिन मंत्रियों की यह बात भी मंच तक ही सिमट कर रह गई, जबकि हकीकत यह है कि अमोला के तीन मजदूर युवकों की दर्दनाक मौत के बाद उन परिवारों की सुध लेने कोई नहीं गया। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की सभा में शामिल होने आए पोहरी के ग्राम चकराना में रहने वाले तुलसी आदिवासी की मौत के बाद भी उसके परिजनों की सुध किसी ने नहीं ली।
कोलारस उपचुनाव को लेकर आए दिन हो रहीं मुख्यमंत्री व मंत्रियों की सभाओं में यह दावे किए जा रहे हैं कि यह सरकार गरीबों की है और उन्हें आगे रखकर ही योजनाएं बनाईगईं। लेकिन मंत्रियों की यह बात भी मंच तक ही सिमट कर रह गई, जबकि हकीकत यह है कि अमोला के तीन मजदूर युवकों की दर्दनाक मौत के बाद उन परिवारों की सुध लेने कोई नहीं गया। इतना ही नहीं मुख्यमंत्री की सभा में शामिल होने आए पोहरी के ग्राम चकराना में रहने वाले तुलसी आदिवासी की मौत के बाद भी उसके परिजनों की सुध किसी ने नहीं ली।
हमने तो कागज कंपलीट करके तहसीलदार साहब को भेज दिए। राहत राशि तो उनके द्वारा ही जारी की जाएगी। हमने तो अपना काम कर दिया, लेकिन अब काम वरिष्ठ अधिकारियों को करना है।
नीरज लोधी, पटवारी सिरसौद
नीरज लोधी, पटवारी सिरसौद
मैंने उसी दिन एसडीएम को कह दिया था। यदि परिवार का बीपीएल कार्ड है तो उसे परिवार सहायता के तहत 20 हजार रुपए की राशि भी दी जाएगी। मैं अभी पता करवाता हूं कि उन परिवारों को क्या मदद मिली है।
तरुण राठी, कलेक्टर शिवपुरी
तरुण राठी, कलेक्टर शिवपुरी