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बस्ते के बोझ से झुके मासूमों के कंधे, आदेश देने वाले भी बेफिक्र

locationशिवपुरीPublished: Sep 30, 2022 11:54:11 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

वाहन चेङ्क्षकग के दौरान भी नहीं दिया जिम्मेदारों ने ध्यान

बस्ते के बोझ से झुके मासूमों के कंधे, आदेश देने वाले भी बेफिक्र

बस्ते के बोझ से झुके मासूमों के कंधे, आदेश देने वाले भी बेफिक्र

शिवपुरी। मासूमों के कमजोर कंधों पर बस्ते के भारी बोझ को कम करने तथा कक्षावार बस्ते का बोझ तय करते हुए शासन ने एक माह पूर्व आदेश जारी किया था। जिसका प्रचार-प्रसार भी हुआ तो आमजन के साथ-साथ मासूमों को भी यह उम्मीद थी कि अब उनके कंधों को कुछ राहत मिलेगी, लेकिन यह आदेश सिर्फ कागज का टुकड़ा बनकर ही रह गया। क्योंकि अभी भी बस्ते के बोझ तले बचपन दबा हुआ है और जिम्मेदार आदेश जारी करके चुप्पी साधकर बैठ गए।

सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय शिक्षा परिषद ने आदेश जारी किए हैं कि मासूम बच्चों के कंधे से बस्ते का बोझ कम किया जाए। इस आदेश का पालन कराए जाने के लिए मप्र शासन के शिक्षण संचालनालय ने भी एक माह पूर्व फरमान जारी किया गया, जिसमें जिला शिक्षा अधिकारी सहित शिक्षा विभाग के लोगों को यह जिम्मेदारी दी गई थी। इतना ही नहीं शिवपुरी में तो डेढ़ माह पूर्व एक बैठक भी एडीजे अर्चना ङ्क्षसह की अध्यक्षता में हुई थी, जिसमें प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन के स्कूल संचालकों को निर्देश भी दिए गए थे। बावजूद इसके जिम्मेदार अधिकारियों ने उस आदेश का पालन करने की बजाय उसे अन्य आदेशों की तरह रद्दी की टोकरी में डाल दिया। यही वजह है कि बच्चों को अभी भी भारी-भरकम बस्ते लेकर स्कूल जाना पड़ रहा है।
बच्चों के विकास पर बोझ का विपरीत असर
10 से 15 किलो वजन वाले बस्ते लेकर जब यह मासूम बच्चे स्कूल से लौटकर अपने घर पहुंचते हैं, तो उन्हें सामान्य स्थिति में आने में कुछ समय लगता है। क्योंकि मौसम में गर्माहट व बस्ते का बोझ लेकर चलने में उनके कमजोर कंधे भी न केवल दर्द करने लगते हैं, बल्कि वे पसीना-पसीना हो जाते हैं। बच्चों के शारीरिक विकास पर भी बस्ते के बोझ का विपरीत असर पड़ रहा है।
स्कूल बसों की चेङ्क्षकग में भी नहीं दिया ध्यान

पिछले दिनों ट्रैफिक पुलिस के साथ मिलकर स्कूल बसो की चेङ्क्षकग की गई थी। इस दौरान स्कूल बसों के अंदर घुसकर उसमें बच्चों के लिए मौजूद सुविधाओं पर तो नजर डाली गई, लेकिन बस में बैठे बच्चों के बस्तों पर किसी ने गौर नहीं किया। जबकि स्कूल बसों के साथ ही बस्तों का बोझ भी यदि चेक कर लिया जाता, तो सुप्रीम कोर्ट व राष्ट्रीय शिक्षा परिषद द्वारा तय की गई गाइड लाइन का भी पालन हो जाता।
कक्षाबार यह तय किया गया बस्ते का वजन

कक्षा बस्ते का वजन

पहली 1.6 से 2.2 किग्रा तक

दूसरी 1.6 से 2.2 किग्रा तक

तीसरी 1.7 से 2.5 किग्रा तक
चौथी 1.7 से 2.5 किग्रा तक

5वीं 1.7 से 2.5 किग्रा तक

6वीं 2.0 से 3.0 किग्रा तक

7वीं 2.0 से 3.0 किग्रा तक

8वीं 2.5 से 4.0 किग्रा तक
9वीं 2.5 से 4.5 किग्रा तक

10वीं 2.5 से 4.5 किग्रा तक


प्रभारी डीपीसी ने गेंद डीइओ के पाले में डाली

प्रायमरी व माध्यमिक कक्षाओं की जिम्मेदारी जिले में डीपीसी के पास होती है। लेकिन जब इस संबंध में प्रभारी डीपीसी शिवांगी अग्रवाल से पूछा तो उनका कहना था कि उक्त आदेश का पालन कराए जाने के लिए जिला शिक्षा अधिकारी को नियुक्त किया है, इसलिए वे ही जवाब दे पाएंगे।

डीपीसी को देखना है
कक्षा 1 से 8वीं कक्षा तक की जिम्मेदारी डीपीसी की ही है। हमने उनके बीआरसीसी के साथ अपने बीइओ को भी शामिल करके कमेटी बना दी हैं। स्कूल संचालकों ने भी सहमति जताते हुए पत्र दिए हैं। यदि किसी स्कूल के बच्चों के कंधे पर अधिक बोझ है, तो हमें बताएं, हम कार्रवई करेंगे।
संजय श्रीवास्तव, जिला शिक्षा अधिकारी शिवपुरी
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