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जानकारी के अनुसार कुछ दिन पूर्व इस कॉलोनी में फैरी वाला युवक तरबूज बेचने आया था। जिसे आदिवासी बाहुल्य गांव के बच्चों ने खरीद लिया। बच्चों ने तरबूज खरीदकर जैसे ही खाया तो बच्चों की तबीयत बिगडऩे लगी। बच्चों को उल्टी-दस्त के साथ-साथ सांस लेने में तकलीफ हो रही है। आनन फानन में परिजन मासूमों को लेकर कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे, जहां से डॉक्टरों ने जांच के बाद बच्चों को जिला चिकित्सालय रैफर कर दिया।
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इनमें से नीलम(12) पुत्री हक्की आदिवासी, प्रियंका (4)पुत्री सुखदेव व एक अन्य की तरबूज खाने के बाद मौत हो गई। साथ ही गांव में ही 4 अन्य मासूमों की हालात खराब हो रही है। जिसके चलते परिजन चमेली पुत्री शिवचरण आदिवासी उम्र 8 साल, राखी पुत्री राजमल, सागर पुत्री राजमल, करनू आदिवासी को लेकर कोलारस स्वास्थ्य केन्द्र पहुंचे। एक गांव में तीन मासूमों की मौत के बाद प्रशासन अलर्ट हुआ और स्वास्थ्य टीम गांव में पहुंची। कोरोना के कहर के बीच प्रशासन ने इस गांव में लोगों के सेम्पल लिए है। जिन्हें खांसी जुखाम बुखार है। परंतु अभी भी यह रहस्य बना हुआ है कि आखिर इन मासूमों की मौत का कारण तरबूज खाना है या फिर कोई और बात। प्रशासन ने इस गांव की सीमाओं को भी सील कर दिया है।
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समझ नहीं आ रहा ये क्या हो रहा है
अभी हम वहीं से लौट रहे है। समझ नहीं आ रहा है कि यह क्या हो रहा है। बच्चों को उल्टी हो रही है। हल्का का बुखार आ रहा है। उसके बाद उनकी मौत हो रही है। अभी तक 3 बच्चों की मौत हो गई है। इसके लिए कुछ बच्चों का हमने किट से कोविड का सेम्पल भी लगाया है। परंतु उसमें उनकी जांच निगेटिव आ रही है। कुछ का सैम्पल हमने आरटीपीसीआर में भेजा है। गांव में अन्य लोगों को हमने दवाइयां वितरित कर दी हैं।
–अल्का त्रिवेदी, बीएमओ कोलारस
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