पिछोर के कोटरा गांव में रहने वाले खलक सिंह आदिवासी का एक पैर नहीं है तथा वो बैसाखियों के सहारे ही चल पाता है। उसे चार साल पूर्व सामाजिक न्याय विभाग की ओर से नई बैसाखी दी गईं थीं, जो इतना समय गुजर जाने के बाद कई जगह से टूट गईं। उन टूटी बैसाखियों को सुतली से बांधकर वो किसी तरह बस में सवार होकर शिवपुरी आया कि मेरी टूटी बैसाखी की जगह नई बैसाखी मिल जाएंगी, लेकिन उसे यहां सिर्फ आश्वासन मिला । खलक सिंह ने बताया कि सामाजिक न्याय विभाग के दफ्तर में मिले बाबू ने कह दिया कि अभी आवेदन दे जाओ, फिर हम एक माह बाद तुम्हे बैसाखी मंगवाकर दे देंगे।
मैं आज मीटिंग में भोपाल आ गया था, ऑफिस में मौजूद स्टाफ को शायद पता नहीं होगा। हमारे पास नई बैसाखी रखी हुई हैं। वैसे तो हम अब जेम के माध्यम से खरीदी करते हैं, लेकिन एक जोड़ी बैसाखी रखी हैं, जो मैं उस जरूरतमंद दिव्यांग को शिवपुरी पहुंचकर दिलवा दूंगा।
सुबोध दीक्षित, प्रभारी सामाजिक न्याय विभाग शिवपुरी