script78 साल तक जिए एक साथ और मरे भी एक साथ | Two friends left the world together | Patrika News

78 साल तक जिए एक साथ और मरे भी एक साथ

locationशिवपुरीPublished: Sep 24, 2019 10:43:42 pm

Submitted by:

Rakesh shukla

दो दोस्तों ने 15 मिनट के अंतराल में छोड़ी दुनिया
पास-पास चिता बनाकर परिजनों ने किया अंतिम संस्कार

78 साल तक जिए एक साथ और मरे भी एक साथ

78 साल तक जिए एक साथ और मरे भी एक साथ

शिवपुरी. उनके बीच बचपन से लेकर 78 साल की उम्र तक दोस्ती ऐसी थी कि वे अपने घर पर सिर्फ नहाने-धोने और सोने ही जाते थे, जबकि खाना तक वो एक साथ खेत पर खाते थे। पूरे गांव में उनकी दोस्ती की चर्चा तो पहले से ही थी, लेकिन बीते रविवार को जब एक दोस्त की मौत हुई तो महज 5 मिनिट के अंतराल में दूसरे ने भी दम तोड़ दिया। इन दोस्तों की मौत की खबर जैसे गांव में फैली तो हर कोई यही बोला कि जिए तो एक साथ और मरे तो एक साथ। दोनों का अंतिम संस्कार एक साथ किया गया। दोस्ती की इस कहानी का दु:खद पहलू यह रहा कि गांव में मुक्तिधाम न होने की वजह से बारिश के बीच कैरोसिन व टायर के सहारे अंतिम संस्कार किया जा सका।
शिवपुरी विधानसभा की ग्राम पंचायत पटेसरा के ग्राम खरगवा में रहने वाले कैलाशनारायण दुबे व हरगोविंद लोधी की दोस्ती बचपन से थी। बचपन एक साथ गुजरा, जवानी भी एक-दूसरे के साथ ही निकाली और बुढ़ापे में भी दोनों अधिकांश समय साथ ही रहते थे। कैलाशनाराण के भतीजे पवन शर्मा (शिवपुरी नपा में पार्षद) ने बताया कि इनकी दोस्ती इतनी गहरी थी कि सुबह से ही खेत पर निकल जाते थे और दोपहर व शाम का खाना भी एक साथ ही खाते थे। जब भी कोई किसी एक का ठिकाना पूछता था, तो पता बताने वाला यही कहता था कि होंगे वो अपने दोस्त के साथ। बीते रविवार की शाम 5.30 बजे हरगोविंद लोधी की मौत हुई और जैसे ही यह खबर कैलाशनारायण दुबे तक पहुंची तो 5.45 बजे वो भी दुनिया छोड़ गए। चूंकि उनकी दोस्ती पूरा गांव जानता था, इसलिए दोनों के परिजनों ने एक साथ दोनों को गांव से विदा किया और गांव के खेरा (कुएं के पास वाली जगह) पर थोडी-थोड़ी दूरी पर दोनों की चिता सजाई गई और फिर उनका एक साथ अंतिम संस्कार किया गया।
तीन गांव के बीच एक भी नहीं है मुक्तिधाम
ग्राम पंचायत पटसेरा में तीन गांव खरगवा, मानकपुर व ततैया है, लेकिन इन तीनों गांव के बीच में एक भी मुक्तिधाम नहीं है। जिसके चलते इन दोनों मित्रों का जब अंतिम संस्कार किया गया तो एकाएक बारिश हो जाने से उनकी चिता को केरोसिन व टायरों के सहारे जलाया गया। तीनों गांव में से किसी में भी न तो चबूतरा है और न ही उसके ऊपर टीनशेड है।
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