विदेश राज्य मंत्री वी.के.सिंह ने लोकसभा में एक सवाल के लिखित जवाब में कहा कि सरकार ने रिपोर्ट देखी हैं, जिसमें पाकिस्तान के प्रधानमंत्री के सलाहकार की अध्यक्षता वाली कमेटी पाकिस्तान के अवैध कब्जे वाले भारतीय राज्य जम्मू एवं कश्मीर का हिस्सा तथाकथित गिलगित-बाल्टिस्तान को स्थायी तौर पर प्रांत का दर्जा देगी।
उन्होंने कहा कि इस मुद्दे पर हमारा अटल रुख है कि समस्त जम्मू एवं कश्मीर राज्य भारत का अखंड हिस्सा है। पाकिस्तान के अवैध तथा जबरन कब्जे के तहत क्षेत्र के किसी भी हिस्से में बदलाव करने को लेकर किसी भी कार्रवाई का कोई कानूनी आधार नहीं है और यह पूरी तरह अस्वीकार्य है।
गौरतलब है कि पिछले महीने पाकिस्तान की संघीय कैबिनेट ने फेडरली एडमिनिस्टर्ड ट्राइबल एरियाज (एफएटीए) सुधार कमेटी की सिफारिशों को मंजूरी दे दी, जिसमें कबायली इलाकों को खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में शामिल करना तथा फ्रंटियर क्राइम्स रेग्युलेशन (एफसीआर) को निरस्त करना शामिल है। जहां कैबिनेट बैठक की अध्यक्षता करते हुए प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने कहा कि एफएटीए, गिलगित-बाल्टिस्तान तथा आजाद जम्मू एवं कश्मीर को उनका अधिकार दिया जाएगा।
इस मामले पर पाक पीएम के विदेश मामलों के सलाहकार सरताज अजीज ने कहा कि साल 2018 के एसेंबली के चुनाव में एफएटीए के लोग अपना प्रतिनिधि चुन सकें, इसके लिए संविधान में आवश्यक सुधार किए जाएंगे।
जिसके बाद बुधवार को अपने बयान में भारत के विदेश राज्य सिंह ने कहा कि पाकिस्तान को अवैध रूप से दखल किए गए सभी इलाकों को तत्काल खाली करना चाहिए। उनका कहना कि पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर की स्थिति में किसी भी तरह का बदलाव मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन, शोषण तथा इन इलाकों को मुक्त करने को छिपा नहीं सकता है।
सिंह ने कहा कि इस मामले में हमने अपने रुख से अंतर्राष्ट्रीय वार्ताकारों को अवगत करा दिया है। तो इस मामले पर विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि जिस दिन से भारत को इस विषय में जानकारी मिली है। भारत ने उस दिन से इसका विरोध किया है। साथ ही कहा कि सरकार ने पहले से ही संसद में पीओके और गिलगित-बाल्टिस्तान मामले पर रिजोल्यूशन पास कर चुकी है।