आपके दिल में चाहता हूं मैं जगह: सिंधिया
सभा MP Assembly by-election 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, मैं तो आपके लिए घर की मुर्गी दाल बराबर हूं, आप लोग मुझे सुनने के लिए नहीं, बल्कि उमा भारती को सुनने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि मेरा पथ राजनीति का नहीं है, मेरा पथ जनसेवा का है, राजनीति केवल माध्यम है। इसलिए 20 साल में आप मेरे गवाह हो, मैं कभी भी कुर्सी, नेमप्लेट, पद व लालबत्ती के पीछे नहीं दौड़ा। आज भी मेरे दिल में एक ललक है, यदि आपके दिल में छोटा सा स्थान मुझे मिल जाए तो खुद को धन्य मानूंगा। एक भ्रष्टाचारी व विनाशकारी सरकार कांग्रेेस की स्थापित हुई, जिसमें ग्वालियर-चंबल संभाग ने प्रचंड बहुमत दिया, यदि वह बहुमत नहीं मिलता तो 2018 में कमलनाथ नहीं, बल्कि शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बनते। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने, मैंने सोचा था कि करैरा का विकास व प्रगति होगी, लेकिन उस सरकार ने भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया। ओलावृष्टि हुई, अति वृष्टि हुई, मुझे लगा कि देखने जाएंगे, लेकिन 15 माह तक वल्लभ भवन में बैठकर नोट गिने। तब मैंने कमलनाथ सरकार को धूल चटाया। अब उडऩखटोले पर घूम रहे हैं वोट मांगने, उन्हें ना महिलाओं की, ना युवाओं की ना बुजुर्गोंं की चिंता है, उन्हें सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है। वह व्यापारी होने के साथ ही परदेशी पंछी हैं।
सभा MP Assembly by-election 2020 में ज्योतिरादित्य सिंधिया ने कहा, मैं तो आपके लिए घर की मुर्गी दाल बराबर हूं, आप लोग मुझे सुनने के लिए नहीं, बल्कि उमा भारती को सुनने के लिए आए हैं। उन्होंने कहा कि मेरा पथ राजनीति का नहीं है, मेरा पथ जनसेवा का है, राजनीति केवल माध्यम है। इसलिए 20 साल में आप मेरे गवाह हो, मैं कभी भी कुर्सी, नेमप्लेट, पद व लालबत्ती के पीछे नहीं दौड़ा। आज भी मेरे दिल में एक ललक है, यदि आपके दिल में छोटा सा स्थान मुझे मिल जाए तो खुद को धन्य मानूंगा। एक भ्रष्टाचारी व विनाशकारी सरकार कांग्रेेस की स्थापित हुई, जिसमें ग्वालियर-चंबल संभाग ने प्रचंड बहुमत दिया, यदि वह बहुमत नहीं मिलता तो 2018 में कमलनाथ नहीं, बल्कि शिवराज सिंह मुख्यमंत्री बनते। कमलनाथ मुख्यमंत्री बने, मैंने सोचा था कि करैरा का विकास व प्रगति होगी, लेकिन उस सरकार ने भ्रष्टाचार का अड्डा बनाया। ओलावृष्टि हुई, अति वृष्टि हुई, मुझे लगा कि देखने जाएंगे, लेकिन 15 माह तक वल्लभ भवन में बैठकर नोट गिने। तब मैंने कमलनाथ सरकार को धूल चटाया। अब उडऩखटोले पर घूम रहे हैं वोट मांगने, उन्हें ना महिलाओं की, ना युवाओं की ना बुजुर्गोंं की चिंता है, उन्हें सिर्फ अपनी कुर्सी की चिंता है। वह व्यापारी होने के साथ ही परदेशी पंछी हैं।