जानकारी के मुताबिक गंधाई निवासी महेन्द्र (21) पुत्र ओमप्रकाश सोनी मंगलवार की सुबह करीब 9.30बजे बाइक पर सवार होकर करैरा की तरफ जा रहा था। गांव से कुछ दूर निकला ही था कि तभी करैरा से ग्वालियर की ओर जा रही शीतला बस के चालक ने तेजी व लापरवाही से वाहन चलाते हुए महेन्द्र को टक्कर मार दी। हादसे में महेन्द्र की मौके पर मौत हो गई। घटना के बाद बस छोड़कर स्टाफ मौके से फरार हो गया। सूचना मिलते ही महेन्द्र के परिजन व ग्रामीण मौके पर आ गए तथा बस सहित अन्य वाहनों में तोडफ़ोड़ करते हुए चक्काजाम कर दिया।
आक्रोशित लोगों ने मौके से गुजर रही एक अन्य बस को भी निशाने पर ले लिया और उसकी भी तोडफ़ोड़ की। इधर मामले की जानकारी लगते ही करैरा थाना प्रभारी संजीव तिवारी पुलिस बल के साथ मौके पर आए और पीडि़त परिजनों को समझाने की कोशिश की, लेकिन जब वह नही माने तो एसडीएम सीबी प्रसाद व करैरा एसडीओपी आनंद राय आए और उन्होंने ४ मांगों का लिखित आश्वासन देकर मामले को शांत कराया। बाद में करीब ३ घंटे बाद जाम खुला और आवागमन शुरू हो पाया। हालांकि आक्रोशित लोग कलेक्टर को मौके पर बुलाकर उनसे बात करने के लिए अड़े थे, लेकिन एसडीएम ने उन्हें समझाइश देकर सड़क जाम खुलवाया।
आपका बेटा तो चला गया लेकिन अब सरकार आपका बेटा है
एसडीएम प्रसाद ने मृतक महेन्द्र की मां को अपने गले से लगाते हुए उन्हें सांत्वना दी और कहा कि अब मैं आपका बेटा तो वापस नही ला सकता हूं, लेकिन अब सरकार आपका बेटा है। इस मौके पर एसडीएम प्रसाद ने अपने वेतन से पीडि़त परिवार को २५ हजार रुपए, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से एक लाख रुपए, सड़क दुर्घटना का प्रस्ताव ४ दिन में बनाकर कलेक्टर को भेजने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस संबंधित पर कार्रवाई तत्काल करेगी, क्लेम दिलवाने में पूरी मदद तथा माता-पिता के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन दिलाने की कार्रवाई का लिखित आश्वासन दिया।
वृद्ध माता-पिता का सहारा था महेन्द्र
वैसे तो महेन्द्र के दो अन्य भाई हैं, लेकिन अपने वृद्ध माता-पिता का महेन्द्र ही सहारा था। महेन्द्र एक छोटी सी परचूने की दुकान संचालित कर अपने परिवार को चलाता था।महेंद्र की मौत की सूचना माता-पिता को लगी तो दोनों महेंद्र की लाश के पास रोते बिखलते रहे और बोलते रहे कि अब हमारा लाल ही चला गया अब हमको कौन देखेगा।
एसडीएम प्रसाद ने मृतक महेन्द्र की मां को अपने गले से लगाते हुए उन्हें सांत्वना दी और कहा कि अब मैं आपका बेटा तो वापस नही ला सकता हूं, लेकिन अब सरकार आपका बेटा है। इस मौके पर एसडीएम प्रसाद ने अपने वेतन से पीडि़त परिवार को २५ हजार रुपए, मुख्यमंत्री स्वेच्छानुदान से एक लाख रुपए, सड़क दुर्घटना का प्रस्ताव ४ दिन में बनाकर कलेक्टर को भेजने की बात कही। साथ ही उन्होंने कहा कि पुलिस संबंधित पर कार्रवाई तत्काल करेगी, क्लेम दिलवाने में पूरी मदद तथा माता-पिता के लिए सामाजिक सुरक्षा पेंशन दिलाने की कार्रवाई का लिखित आश्वासन दिया।
वृद्ध माता-पिता का सहारा था महेन्द्र
वैसे तो महेन्द्र के दो अन्य भाई हैं, लेकिन अपने वृद्ध माता-पिता का महेन्द्र ही सहारा था। महेन्द्र एक छोटी सी परचूने की दुकान संचालित कर अपने परिवार को चलाता था।महेंद्र की मौत की सूचना माता-पिता को लगी तो दोनों महेंद्र की लाश के पास रोते बिखलते रहे और बोलते रहे कि अब हमारा लाल ही चला गया अब हमको कौन देखेगा।
घटना बहुत दुखद है। पीडि़त परिवार की हर संभव सहायता की जाएगी। मैंने भी अपने वेतन से २५ हजार रुपए देने की बात कही है। अन्य सहायता के लिए भी चार दिन के अंदर प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर साहब को भेजे जाएंगे।
सीबी प्रसाद, एसडीएम, करैरा।
सीबी प्रसाद, एसडीएम, करैरा।