
प्रेस वार्ता करते एसपी पकड़े गए आरोपी
Shravasti: श्रावस्ती जिले के मल्हीपुर थाना के गांव लक्ष्मनपुर का रहने वाला मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा पहले एक मामूली कबाड़ी का काम करता था। गांव- गांव जाकर कबाड़ खरीदता था। उसके बाद मल्हीपुर कस्बा के बीरगंज बाजार में एक छोटी सी कबाड़ की दुकान खोला। कुछ दिनों तक चोरी का सामान खरीदने के बाद लोहे का पोल चुराते पकड़ा गया। फिर कबाड़ से इसका मोह भंग हो गया। कबाड़ का काम इसने बंद कर दिया। फिर लक्ष्मनपुर के गंगापुर अपने गांव में एक आवासीय मदरसा खोलकर उसका संचालक बन गया।
Shravasti: श्रावस्ती के लक्ष्मनपुर गांव का रहने वाला मुबारक अली उर्फ नूरी बाबा बचपन से ही करोड़पति बनने का सपना सजोये था। इसके लिए उसे कुछ भी करना पड़े। पैसा गलत या सही रास्ते से आए। उसके गांव के लोग दबी जुबान से कुछ ऐसी ही बातें कहते हैं। नूरी ने शुरू में गांव-गांव जाकर साइकिल से कबाड़ खरीदने का काम शुरू किया। कुछ दिन बाद उसने कबाड़ खरीदने की एक छोटी सी दुकान खोली। लोहे का पोल के मामले में पकड़े जाने के बाद उसने कबाड़ का काम बंद कर दिया। कबाड़ का काम करने के दौरान चोरी का माल खरीद कर खूब पैसा कमाया। इसकी पूरी कहानी किसी फिल्म की स्क्रिप्ट से कम नहीं है।
श्रावस्ती जिले के लक्ष्मनपुर गंगापुर गांव में बना आवासीय मदरसा दारुल उलूम फैजुर्रनबी आज पूरे प्रदेश में चर्चा का विषय बन गया। मदरसा संचालक बनने के बाद दीनी तालीम के नाम पर नूरी ने जमकर अय्याशी किया। उसी के गांव के रहने वाले एक व्यक्ति ने बताया कि कुछ दिन पहले मदरसा में पढ़ने वाली एक छात्रा का इसने यौन शोषण किया। युवती के पिता ने जब नूरी पर आरोप लगाया। तब जेल जाने से बचने के लिए इसने उससे निकाह कर लिया। मदरसा संचालक के साथ-साथ इसने अपने गाड़ी पर मीडिया लिखवा लिया। खुद को मंडलीय ब्यूरो बताता था। लोगों की माने तो इसके गाड़ियों पर अब मीडिया लिखा है। कहा तो यहां तक जा रहा है की मदरसा में पढ़ने वाली कई लड़कियों का इसने यौन शोषण किया। इस बात का खुलासा इस बात से हुआ है कि पुलिस की जांच में मदरसा में काफी संख्या में सेक्सवर्धक दवाई मिली हैं।
मदरसा खोलने के बाद दीनी तालीम के नाम पर इसने खूब फंडिंग उठाई। देखते ही देखते यह खूब मालामाल हो गया। मदरसा खोलने के पीछे फंडिंग उठाना इसका मुख्य उद्देश्य था। इस पैसे से उसने सिर्फ ऐसो आराम ही नहीं बल्कि करोड़ों की संपत्ति खड़ी कर लिया। इसके बाद पयागपुर के रहने वाले जलील बाबा के साथ मिलकर मदरसा के एक कमरे में नकली नोट छापने का काम शुरू किया। 100, 200, और 500 का नोट उच्च कोटि के कागजों पर छाप कर छोटे-छोटे कस्बा बाजारों में चलता था। बताया जाता है कि इसकी पांच बीवियां हैं। वह भी इन नोटों को चलाने का काम करती थी।
Updated on:
04 Jan 2025 10:36 am
Published on:
04 Jan 2025 10:35 am
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