साल 1998 में उत्तर प्रदेश को एक दिन का सीएम मिला था, इस सीएम नाम जगदंबिका पाल है। मौजूदा दौर में भाजपा के सांसद जगदंबिका पाल उस समय अखिल भारतीय लोकतांत्रिक कांग्रेस के विधायक थे। लोकतांत्रिक कांग्रेस का गठन जगदंबिका पाल ने 1997 में नरेश अग्रवाल और राजीव शुक्ला के साथ किया था।
रात 10 बजे दिलाई गई शपथ
समर्थन वापसी के ऐलान के बाद मायावती 21 फरवरीको करीब दो बजे राजभवन पहुंचीं। मायावती के साथ अजीत सिंह की भारतीय किसान कामगार पार्टी, जनता दल और लोकतांत्रिक कांग्रेस के भी विधायक थे। राजभवन जाकर मायावती ने राज्यपाल कल्याण सिंह सरकार को बर्खास्त करने की मांग की। साथ ही उन्होंने जगदंबिका पाल को विधायक दल के नेता बताते हुए उनके समर्थन में पत्र सौंप दिया।
कल्याण सिंह ने कहा- असली सीएम मैं ही हूं
उत्तर प्रदेश में हुए इस घटनाक्रम का भाजपा ने तीखा विरोध किया। पार्टी के उस समय के सबसे बड़े चेहरे अटल बिहारी वाजपेयी ने अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठने का ऐलान कर दिया। वहीं कल्याण सिंह ने कह दिया कि उनकी बर्खास्ती अवैध है, वो अभी भी सीएम हैं।
22 फरवरी की सुबह होते ही भाजपा ने जगदंबिका पाल की शपथ को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दे दी। हाईकोर्ट ने राज्यपाल के फैसले को गलत माना और कल्याण सिंह की सरकार को बहाल करने के आदेश दे दिए।
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हाईकोर्ट के आदेश पर 26 फरवरी को यूपी विधानसभा में फ्लोर टेस्ट हुआ। इसमें कल्याण सिंह ने 225 विधायकों के समर्थन के साथ आसानी से विश्वास मत हासिल कर लिया।