शासन ने शाला में स्टाफ की तो पर्याप्त तैनाती कर दी गई है। किंतु छात्र संख्या महज २२ है। वहीं ये भी छात्र शाला में सिर्फ प्रवेश फार्म, परीक्षा फार्म भरने के साथ ही परीक्षा देने के लिए आते हैं। जिसके कारण पदस्थ स्टाफ भी विद्यालय से नदारद रहता है। जिला मुख्यालय से 15 किमी की दूरी होने के बावजूद जिले का प्रशासनिक अमला इस विद्यालय का निरीक्षण करना मुनासिब नहीं समझता। बताया गया कि शासन के द्वारा शासकीय संस्कृत विद्यालय बढौरा में छात्र संख्या कम होने के कारण कलेक्टर के द्वारा 28 जनवरी २०१६ को इस शाला का संविलियन नजदीकी शाला माध्यमिक शाला बढौरा में कर दिया गया था। आज दिनांक तक इस आदेश का पालन करना तक मुनासिब नहीं समझा गया।
ये पदस्थ हैं स्टाफ शासकीय संस्कृत उमा विद्यालय बढौरा में १३ स्टाप पदस्थ हैं। जिसमें प्राचार्य जगत निवास पांडेय, ब्याख्याता शेषमणि त्रिपाठी, वरिष्ठ अध्यापक विमला पांडेय, शिक्षक वृजवासी प्रसाद साकेत, अध्यापक भगवती तिवारी, सहायक अध्यापक सुमन प्रसाद दुबे, शिक्षक सुमन प्रसाद दुबे, शिक्षक शिवानंद मिश्रा, सहायक अध्यापक अमृता पांडेय, सहायक अध्यापक प्रदीप कुमार शर्मा, सहायक ग्रेड ३ श्यामलाल शुक्ला, चपरासी रामराज मिश्रा, छोटेलाल कोल, संविदा प्राचार्य उपेंद्र शुक्ला पदस्थ हैं। इस विद्यालय मे १३ स्टाप के बीच २२ छात्र पंजीकृत हैं।
नहीं है भवन बढ़ौरा में शासन ने संस्कृत विद्यालय शुरू तो कर दिया, लेनिक भवन उपलब्ध नहीं कराया। लिहाजा, प्राथमिक शाला बढौरा के एक कमरे को स्टाफ रूम में तब्दील किया गया। जबकि, छात्रों के लिए अभी भी कोई कक्ष नहीं है। वहीं छात्रों का नाम सिर्फ रजिस्टर में दर्ज किया गया है, वास्तविकता में छात्र अध्ययन के लिए स्कूल नहीं आ रहे हैं।