सीधी

31 हजार श्रमिकों को रोजगार देना प्रशासन के लिए बड़ी चुनौती

-प्रवासी श्रमिकों का कार्यवार किया गया विभाजन- शासकीय विभागों की बैठक लेकर संविदाकारों के माध्यम से नियोजित करने का प्रयास -रोजगार मेला आयोजन की तैयारी, स्वरोजगार से जोडऩे का प्रयास

सीधीJun 16, 2020 / 02:01 pm

Ajay Chaturvedi

migrant workers

सीधी. कोरोना वायरस कोविड-19 के कारण देश में लागू किए गए लॉकडाउन के कारण सभी उद्योग व्यवसाय बंद हो गए हैं। उद्योग व्यवसाय बंद होने के बाद जिले से महानगरों में रोजगार की तलाश में जाने वाले बड़ी संख्या में श्रमिक जिले में वापस लौटे हैं, लेकिन सीधी जिले में ऐसे श्रमिकों को स्थानीय स्तर पर रोजगार देना जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है। हलांकि प्रदेश सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन द्वारा प्रवासी श्रमिकों का कार्यवार विभाजन कर पंजीयन किया गया है और अब ऐसे श्रमिकों को उनके कार्य के अनुरूप रोजगार मुहैया कराए जाने की तैयारी की जा रही है।
श्रम विभाग के आंकड़े के अनुसार जिले में 31 हजार से अधिक प्रवासी श्रमिक लॉकडाउन के दौरान जिले में लौटे हैं। प्रवासी श्रमिकों का मनरेगा के तहत जॉब कार्ड भी तैयार किया गया है। साथ ही मांग के अनुरूप भी कार्य उपलब्ध कराए जाने के दावे किए जा रहे है, लेकिन प्रवासी श्रमिकों में एक बड़ा तबका ऐसे श्रमिकों का है जो मनरेगा में कार्य करने की स्थिति में नहीं है। ऐसे कुशल श्रमिकों के लिए रोजगार के अवसर प्रदान करने की मंशा से रणनीति तय की जा रही है।
जिले में उद्योग न होना बड़ी समस्या
जिले में बड़े उद्योग के नाम पर जिले के रामपुर नैकिन विकासखंड अंतर्गत मझिगवां बघवार में अल्ट्राटेक सीमेंट प्लांट है। इसके अलावा जिले में एक भी बड़े उद्योग नहीं है, जिससे यहां रोजगार के अवसर काफी कम है। ग्राम पंचायतों में मनरेगा के अलावा प्रवासी श्रमिकों के लिए स्वरोजगार की स्थापना ही एक सहारा है, जिसके लिए पूंजी की आवश्यकता होगी। औद्योगिक नगरों से वापस लौटे श्रमिक भी अब दुबारा काम की तलाश में महानगरों की ओर वापस जाना नहीं चाहते। ऐसे में उनका कहना है कि यदि उद्योग विभाग के माध्मय से विभिन्न शासकीय योजनाओं के तहत स्वरोजगार के लिए ऋण मुहैया हो जाए तो वह स्वयं का रोजगार स्थापित कर कर लेंगे।
विभागों की बैठक कर तय की गई रणनीति
इधर सरकार के निर्देश पर जिला प्रशासन भी प्रवासी श्रमिकों को रोजगार मुहैया कराने के लिए लगातार माथापच्ची कर रहा है। कलेक्टर रवींद्र कुमार चौधरी द्वारा विगत दिवस समस्त विभागों की बैठक आयोजित कर इसको लेकर मंथन भी किया जा चुका है। जिसमें यह शासकीय निर्माण एंजेंसियों के अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए गए हैं कि वह अपने यहां से चल रहे कार्यों में अधिक से अधिक श्रमिकों को कैटेगरी वाइज कार्य की उपलब्धता कराना सुनिश्चित करें।
10 कैटेगरी में किया गया है विभाजित
लॉकडाउन के बाद जिले में बड़ी संख्या में लौटे श्रमिकों को उनके कार्य के हिसाब से दस कैटेगरी में विभाजित करते हुए पंजीयन किया गया है, ताकि प्रवासी श्रमिकों को उनके कार्य दक्षता के अनुरूप कार्य की उपलब्धता कराई जा सके। हलांकि सीधी जैसे जिले में जहां उद्योगों का काफी अभाव है वहां इतनी बड़ी संख्या में लौटे श्रमिकों को उनकी कार्य की दक्षता के अनुरूप कार्य उपलब्ध करा पाना जिला प्रशासन के लिए एक बड़ी चुनौती है, क्योंकि ज्यादातर श्रमिक बड़े उद्योंगों में ही कार्य करते थे और सीधी जिले में बड़े उउद्योग के नाम पर महज एक सीमेंट प्लांट ही है।
कैटेगरीवाइज प्रवासी श्रमिकों की स्थिति

नियोजन क्षेत्र- नियोजन- प्रवासी श्रमिक संख्या
कारखाना उद्योग/फैक्ट्री में नियोजित- अन्य उद्योग- 6745
भवन एवं अन्य निर्माण में नियोजित- मजदूर- 5560
असंगठित क्षेत्र में नियोजित- परिवहन श्रमिक- 2766
असंगठित क्षेत्र में नियोजित- दुकान,रेस्टोरेंट,व्यापार में संलग्र- 1778
कारखाना/उद्योग/फैक्ट्री में नियोजित- गारमेंट्स बनाने का उद्योग- 1145
असंगठित क्षेत्र में नियोजित- प्राइवेट सुरक्षा सेवा में नियोजित- 1042
असंगठित क्षेत्र में नियोजित- कृषि श्रमिक- 1012
कारखाना/उद्योग/फैक्ट्री में नियोजित- उपकरण/पाट्र्स बनाने का उद्योग- 994
कारखाना/उद्योग/फैक्ट्री में नियोजित- प्लास्टिक/केमिकल फैक्ट्री- 923
कारखाना/उद्योग/फैक्ट्री में नियोजित- टेक्स्टटाईल उद्योग- 700
अन्य- 9039
कुल- 31704
नोट-यह आंकड़ श्रम विभाग में प्रवासी श्रमिकों के किए गए पंजीयन के आधार पर है।
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