सीधी जिले में ग्राम पंचायतों को दस रेत खदाने में आवंटित की गई हैं, जहां प्रशासन की सह पर खुलेआम टू-टेन व जेसीबी मसीन के माध्यम से रेत की लोडिंग की जाती है, जिससे स्थानीय स्तर पर श्रमिकों को रोजगार नहीं मिल रहा है वहीं जलीय जंतुओं का जीवन भी खतरे में है। बता दें कि जिले के बहरी तहसील अंतर्गत आठ खदाने जिसमें भरूही पंचायत में बारपान व भरूही, डोल पंचायत में दो, ग्राम पंचायत खुटेली में तीन खुटेली, ओदरा उर्फ उदरा एक एवं दो तथा मरसरहा पंचायत में मरसरहा खदान संचालित है। इसी तरह कुसमी तहसील गोतरा पंचायत में गोतरा तथा मझौली तहसील के धुआंडोल पंचायत में निधिपुरी रेत खदान शामिल है।
जिले में पंचायतों को आवंटित रेत खदानों में जिस तरह नदियों का रास्ता रोकते हुए जेसीबी व टू-टेन मशीनों के माध्यम से लगातार रेत का उत्खनन किया जा रहा है, उससे जिले की महत्वपूर्ण नदियां खोखली होती जा रही हैं, वहीं जलीय जंतुओं के जीवन पर भी खतरा मंडरा रहा है। इसके बावजूद सुविधा शुल्क के बोझ तले दबे जिले के जिम्मेदार अधिकारी कार्रवाई की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे हैं।
पंचायतों को आवंटित खदानों में मशीनों से रेत उत्खनन पर प्रतिबंध लगाने व कार्रवाई करने के निर्देश तहसीलदारों को दिए जा चुके हैं, सिहावल क्षेत्र की एक रेत खदान में दविश देकर कार्रवाई की गई है, शेष रेत खदानों की जांच कर कार्रवाई के निर्देश भी एसडीएम को दिए जाएंगे।
रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर सीधी