पूजन विधि
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, होलिका दहन से पूर्व होली का पूजन करने का विधान है। इस दौरान पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पूजन करने के लिए माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज में गेंहू की बालियां और साथ में एक लोटा जल लेकर होलिका के चारों ओर परिक्रमा करनी चाहिए।
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि, होलिका दहन से पूर्व होली का पूजन करने का विधान है। इस दौरान पूजा करते समय पूर्व या उत्तर की ओर मुख करके बैठना चाहिए। पूजन करने के लिए माला, रोली, गंध, पुष्प, कच्चा सूत, गुड़, साबुत हल्दी, मूंग, बताशे, गुलाल, नारियल, पांच प्रकार के अनाज में गेंहू की बालियां और साथ में एक लोटा जल लेकर होलिका के चारों ओर परिक्रमा करनी चाहिए।
यह है मान्यता
सबसे प्रसिद्ध राधा-कृष्ण की होली है, जो हर साल वृंदावन और बरसाना में बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन राधा-कृष्ण की होली के अलावा भी इस पर्व से जुड़ी कई और कथाएं भी हैं। होलिका के बारे में धार्मिक मान्यता है हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से नाराज होकर बहन होलिका को उसे खत्म करने का आदेश दिया था। होलिका के पास यह शक्ति थी कि आग से उसको कोई नुकसान नहीं होता था। भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गई। लेकिन प्रह्लाद को भगवान विष्णु की कृपा थी, इसलिए होलिका आग में स्वयं भस्म हो गई और प्रह्लाद सकुशल बच गए। होली का त्योहार राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है। वसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है। होली के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है।
सबसे प्रसिद्ध राधा-कृष्ण की होली है, जो हर साल वृंदावन और बरसाना में बड़ी ही धूमधाम से मनाई जाती है। लेकिन राधा-कृष्ण की होली के अलावा भी इस पर्व से जुड़ी कई और कथाएं भी हैं। होलिका के बारे में धार्मिक मान्यता है हिरण्यकश्यप अपने पुत्र प्रह्लाद की विष्णु भक्ति से नाराज होकर बहन होलिका को उसे खत्म करने का आदेश दिया था। होलिका के पास यह शक्ति थी कि आग से उसको कोई नुकसान नहीं होता था। भाई के आदेश का पालन करते हुए होलिका प्रह्लाद को गोद में लेकर चिता में बैठ गई। लेकिन प्रह्लाद को भगवान विष्णु की कृपा थी, इसलिए होलिका आग में स्वयं भस्म हो गई और प्रह्लाद सकुशल बच गए। होली का त्योहार राधा और कृष्ण की प्रेम कहानी से भी जुड़ा हुआ है। वसंत के इस मोहक मौसम में एक दूसरे पर रंग डालना उनकी लीला का एक अंग माना गया है। होली के दिन वृन्दावन राधा और कृष्ण के इसी रंग में डूबा हुआ होता है।
वीणा और मातंग योग में मनेगा रंगों का त्योहार
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं किया जाता। इस बार होली पर करीब 10 घंटे तक भद्राकाल रहेगा। भद्राकाल सुबह 10.46 शुरू होगा और रात्रि 8.58 तक रहेगा। भद्रा काल के कारण इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त का समय शाम से न होक र रात 9 बजे से शुरु होगा। इसलिए होलिका दहन रात 9 बजे के बाद ही किया किया जाएगा। होलिका दहन रात नौ बजे से शुरू हो जाएगा और 12 बजे तक चलता रहेगा। होलिका दहन और होली, दोनों दिन पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं। स्थिर योग में आने के कारण होली को शुभ पर्व माना गया है।
ज्योतिषाचार्य के अनुसार, होलिका दहन कभी भी भद्रा काल में नहीं किया जाता। इस बार होली पर करीब 10 घंटे तक भद्राकाल रहेगा। भद्राकाल सुबह 10.46 शुरू होगा और रात्रि 8.58 तक रहेगा। भद्रा काल के कारण इस बार होलिका दहन का शुभ मुहूर्त का समय शाम से न होक र रात 9 बजे से शुरु होगा। इसलिए होलिका दहन रात 9 बजे के बाद ही किया किया जाएगा। होलिका दहन रात नौ बजे से शुरू हो जाएगा और 12 बजे तक चलता रहेगा। होलिका दहन और होली, दोनों दिन पूर्वा फाल्गुनी और उत्तरा फाल्गुनी नक्षत्र पड़ रहे हैं। स्थिर योग में आने के कारण होली को शुभ पर्व माना गया है।