तीसरी बार चुनाव प्रक्रिया का मजाक
विभागीय लापरवाही से भरतपुर सेवा सहकारी समिति का चुनाव लगातार तीसरी बार निरस्त करना पड़ रहा है। इस बार तो न्यायालय के निर्दैश पर तिथि घोषित की गई थी। फिर भी चुनाव नहीं हो पाया। बताया गया, पहली तिथि अक्टूबर 2017 में तय की गई थी। लेकिन ऐनवक्त पर पीठासीन अधिकारी बीमार हो गए, चुनाव नहीं हो पाया। दूसरी बार उच्च न्यायालय ने स्थगन दे दिया। सुनवाई के बाद कोर्ट ने चुनाव कराने के निर्देश दिए, जिस पर सहकारिता विभाग ने 31 अक्टूबर को मतदान की तिथि निर्धारित की। मतदान प्रक्रिया भी शुरू हुई, लेकिन मतपत्र में गड़बड़ी सामने आने के बाद बीच में ही इसे रोकना पड़ा। बैलेट पेपर पर प्रत्याशियों के नाम न होना गंभीर मामला है। समिति के सदस्य इसे अधिकारियों की सोची समझी साजिश बता रहे हैं।
दोषी अफसरों पर कार्रवाई होनी चाहिए
मैं वोट डालने गया तो मतपत्र पर प्रत्याशियों के नाम ही नहीं थे। पीठासीन अधिकारी ने चुनाव तो निरस्त कर दिया, लेकिन लापरवाही पर कार्रवाई भी होनी चाहिए।
महेंद्र सिंह, कृषक मतदाता, सगौनी
मैं वोट डालने गया तो मतपत्र पर प्रत्याशियों के नाम ही नहीं थे। पीठासीन अधिकारी ने चुनाव तो निरस्त कर दिया, लेकिन लापरवाही पर कार्रवाई भी होनी चाहिए।
महेंद्र सिंह, कृषक मतदाता, सगौनी
चुनाव निरस्त कर दिया है मत पडऩे के बाद गड़बड़ी सामने आई। जांच में पता चला, मत पत्र क्रमांक 276 से 282 तक अभ्यर्थी का नाम गलत था, चुनाव निरस्त कर दिया है।
एसपी माझी, निर्वाचन अधिकारी
एसपी माझी, निर्वाचन अधिकारी