सीधी जिला अस्पताल की बात करें तो यहां संचालित ब्ल्ड बैंक में पॉजिटिव एक ग्रुप के अलावा शेष ग्रुप में खून सीमित मात्रा में हैं। ओ ग्रुप में ही सर्वाधिक 9 यूनिट ब्लड है। इसके अलावा ए व एबी पॉजिटिव ग्रुप में एक मात्र यूनिट ब्लड है। ग्रुप बी में तीन यूनिट है जो कभी खाली हो सकता है।
निगेटिव ग्रुप में सिर्फ एक यूनिट खून बचा है। ओ, ए व एबी निगेटिव ग्रुप का खून है ही नहीं। केवल बी निगेटिव ग्रुप का ही खून उपलब्ध है। ब्ल़ड बैंक से खून लेना सबके बस की बात नहीं है। ब्लड बैंक से किसी को खून लेना है तो पहले एक आदमी का जुगाड़ करना होगा जो एक यूनिट खून दे। इसके साथ ही खून लेने वाले को एक हजार 50 रुपये जमा करने होंगे। ऐसे में आम आदमी तो यहां से खून ले ही नही सकता।
अब बताएं कि इस कोरोना संकट की घड़ी में किसी को खून की जरूरत हो जाए तो उसे बड़ी मुश्किलों का समना करना पड़ रहा है। तीमारदार दर-दर भटकने को विवश हैं। खून की कमी का यही हाल बना रहा तो आने वाले दिनों में जीवन के लाले पड़ सकते हैं। इतना सब जानने के बाद भी नागरिकों में रक्त दान के प्रति कोई रुचि नहीं है। ब्लड बैंक के आह्वान का कोई असर नहीं है।
हालात इतने बदतर हैं कि थैलिसीमिया, सीकलसेल के मरीज हों या किडनी के रोगी। हर किसी को खून की जरूरत होती ही है। लेकिन उनके जीवन को बचाना स्वास्थ्य महकमे के लिए संकटपूर्ण है। ऑपरेशन तक के रोगियो के लिए खून का संकट पैदा हो गया है।
जानकार कहते हैं कि अगर बड़े पैमाने पर रक्त दान नहीं हुआ तो आने वाला समय बेहद संकटपूर्ण होगा।