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कीमतों पर अटकी वेंटिलेटर्स की सांसे, कर रहे जुगाड़

locationसीधीPublished: Apr 07, 2020 09:36:38 pm

Submitted by:

op pathak

कीमतों पर अटकी वेंटिलेटर्स की सांसे, कर रहे जुगाड़. जिले में करीब १२० की जरूरत, जिला चिकित्सालय में मात्र २..तीन वेंटिलेटर्स के लिए मंगाया गया कोटेशन, नहीं उपलब्ध करा पाए विक्रेता

सीधी। जिले में भगवान का शुक्र है कि अभी तक एक भी कोरोना मरीज सामने नहीं आया है। लेकिन जिले की जनसंख्या को देखते हुए कभी स्थिति निर्मिंत हुई तो मौजूदा वेंटिलेटर्स नाकाफी है। जिला अस्पताल में वेंटिलेटर्स की सांसे कीमत पर अटकी हुई है। जिला चिकित्सालय में सिर्फ एक वेंटिलेटर्स था, वहीं दूसरा अल्ट्राटेक कंपनी बघवार के द्वारा उपलब्ध कराया गया है। जो जनसंख्या के हिसाब से कम नहीं बल्कि न के बराबर हैं। हालाकि सरकार के द्वारा तीन वेंटिलेटर्स की ब्यवस्था बनाने के निर्देश दे दिए गए हैं, जो सीधी सांसद रीति पाठक के मदद से खरीदे जानें हैं किंतु अभी तक उसका कोटेशन ही नहीं आ पाया है जिसके कारण खरीदी लटकी हुई है।
कोविड में वेंटिलेटर सबसे बड़ा हथियार-
कोविड-१९ निमोनिया के बाद सीधे फेफड़े को प्रभावित करता है। मरीजों की सांस रोकता है। तब कृत्रिम सांस देने के लिए ये सबसे खास है। वेंटिलेटर वह मशीन है जो रोगी को सांस लेने में मदद करती है, इसके लिए मुंह, नांक या गले में एक छोटे से कट के माध्यम से एक ट्यूब श्वांस नली में डाली जाती है, इसे मैकेनिकल वेंटिलेशन कहा जाता है। यह लाइफ सपोर्ट सिस्टम है। मैकेनिकल वेंटिलेशन की जरूरत तब पड़ती है, जब कोई रोगी प्राकृतिक तरीके से स्वयं सांस लेने में सक्षम नहीं होता है। ऐसे में जिले में एहतियात के तौर पर चिकित्सा प्रबंध तो पूरे होने चाहिए।
ऐसे काम करता है वेंटिलेटर-
विशेषज्ञों ने बताया कि वेंटिलेटर एक ट्यूब के माध्यम से रोगी से जुड़ा होता है, यह ट्यूब रोगी के मुंह या नांक, गले में श्वांस नली में रखी जाती है। ट्यूब व्यक्ति के वायुमार्ग या श्वांस नली में रखी जाती है, इसे इंट्यूबेशन कहा जाता है। श्वांस ट्यूब को रोगी के नांक या मुंह के माध्यम से ही विंडपाइप या श्वांसनली में डाल दिया जाता है। ट्यूब उसके बाद रोगी के गलेमें आगे खिसकाई जाती है, जिसे एंडोट्राचेल या इंटी ट्यूब कहते हैं, कभी-कभी सांस लेने वाली ट्यूब को ऑपरेशन के जरिए गले में छेंद कर रखा जाता है, जिसे ट्रेकियोस्टोमीं कहते हैं। भोजन के बजाए ट्यूब के माध्यम से रोगी को पोषक तत्व दिए जाते हैं।
मरीज के हिसाब से वेंटिलेटर-
नेगेटिव प्रेशर वेंटिलेटर-
ये रोगी की छाती पर लगाया जाता है। इस फोर्स या दबाव के कारण छाती उठती और फैलती है। इस प्रकार के वेंटिलेटर आयरन लंग, बॉडी टैंक, चेस्ट कुइरास भी कहा जाता है।
पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेटर-
इसमें मशीन एक सकारात्मक दबाव बनाती है, जो हवा को मरीज के फेफड़ों में धक्का देता है, इससे इंट्रो पल्मोनरी प्रेशर या दबाव बढ़ता है। इसमें तीन प्रकार के पॉजिटिव प्रेशर वेंटिलेटर हैं।
वाल्यूम साइकिल्ड-
जो पहले से निर्धारित की गई मात्रा या वॉल्यूम वितरित होने तक वायुमार्ग पर दबाव बनाता रहता है।
प्रेशर साइकिल्ड-
ये वेंटिलेटर आमतौर पर न्यूमेटिकली पावर्ड होते हैं, इसमें दबाव सीमा पहले से निर्धारित होती है, वहां तक पहुंचने तब श्वांस नली सकारात्मक दबाव डालते रहते हैं।
टाइप साइकिल्ड-
इस प्रकार के वेंटिलेटर में समय पहले से निर्धारित किया जाता है। शिशु के वेंटिलेशन के लिए ये काम में आता है।
फैक्ट फाइल-
जिले की जनसंख्या- करीब १२ लाख
जिला चिकित्सालय में वेंटिलेटर- ०२
जिले की जनसंख्या के हिसाब से प्रतिदस हजार पर एक आईसीयू व वेंटिलेटर माना जाए तो जरूरत- १२०
अब तक लोगों की स्क्रीनिंग- १४,७१६
घरों की स्क्रेनिंग- ३,४०६
कुल कोविड-१९ सेंपल- १९
जांच रिपोर्ट प्राप्त- ०५
अप्राप्त- १४्र
मंगाया गया है कोटेशन-
जिला चिकित्सालय में पूर्व से एक वेंटिलेटर उपलब्ध था, वर्तमान में अल्ट्राटेक कंपनी बघवार के द्वारा एक वेंटिलेटर मशीन उपलब्ध कराई गई है, वर्तमान में हमारे पास दो वेंटिलेटर हो गए हैं। तीन की खरीदी की जानी है जिसके लिए कोटेशन मंगाया गया है, जिसकी प्रक्रिया पूर्ण कर जल्द ही खरीदी कर ली जाएगी।
डॉ. आरएल वर्मा
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी, सीधी
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