घाटे में चल रहे BSNL का हालः मुफ्त में सरकारी सुविधा का लाभ उठा रहे कर्मचारी, जानें क्या है मामला...
- 50 कमरों के नए कार्यालय भवन में कर्मचारी उड़ा रहे मजा
-हर महीने डेढ लाख रुपये बिजली बिल भर रहा संचार निगम

सीधी. कहने को भारत संचार निगम घाटे में चल रहा है। पाई-पाई को मोहताज है। लेकिन शाहखर्ची बेजोड़ है। अब सीधी जिले को ही लें तो यहां बीएसएऩएल का एक पुराना भवन था जहां से सारे काम-काज आसानी से चल रहे थे, लेकिन निगम ने हाल ही में एक नया आलीशान भवन का निर्माण करा दिया। अब इस 50 कमरों वाले आलिशान कार्यालय भवन के ज्यादातर कमरे खाली हैं। ऐसे में निगम के जिला कार्यालय में तैनात 13 कर्मचारियों ने इसे ही आवास बना लिया है। सारी सुविधाएं मुफ्त। निगम हर महीने भर रहा एक लाख से ज्यादा का बिजली बिल।

पुराने भवन में न होता है ऑफिशियल वर्क न रहता है कोई कर्मचारी
दूरसंचार निगम (बीएसएनएल) का कार्यालय दो स्थानों पर बनाया गया है। पुराना भवन भी बहुत भव्य है। चौकाने वाली बात यह है कि यहां न विभागीय काम होता है न कोई रहता है। अलबत्ता कुछ कर्मचारी इसे शराब पीने का अड्डा जरूर बना लिया हैं।
नए कार्यालय भवन को बना लिए हैं आवास
इस पुराने भवन के रहते निगम ने नया कार्यालय भवन बनवा लिया। अब जिला स्तर पर बीएसएनएल में महज 13 कर्मचारी कार्यरत हैं जबकि इस कार्यालय में 50 से ज्यादा कमरे हैं। उन कमरों का कोई ऑफिशियल पर्पज भी नहीं। इसका फायदा उठाते हुए यहां के कर्मचारियों ने इन कमरों को ही अपना आवास बना लिया है। अब ये भी कहा जा सकता है कि ये कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं। लेकिन इससे राजस्व का नुकसान तो हो ही रहा है, क्योंकि बिजली- पानी सहित अन्य जरूरतें शासन के बजट से पूर्ण हो रही है।
डेढ़ लाख के नीचे नहीं आता बिजली का बिल
बीएसएनएल कार्यालय में सबसे ज्यादा बिजली की बिल आता है। यहां प्रति माह तकरीबन डेढ़ लाख का बिजली बिल आता है। इसका भुगतान शासन स्तर से किया जाता है। इसके साथ ही अन्य कार्यों पर भी थोक में खर्च हो रहा है। यदि इस कार्यालय के कर्मचारियों को वर्क फ्रॉम होम कर दिया जाए तो वर्ष करोड़ो की बजत हो सकती है, जिससे घाटे में चल रहे बीएसएनएल को फायदे में लाया जा सकता है।
पद संख्या
ग्रुप ए-01
ग्रुप बी-06
ग्रुप सी- 05
ग्रुप डी-01
कुल 13
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