अधिकारियों की मानें तो अभी तक उन्हें सिर्फ सर्वे के लिए कहा गया है। एक तर्क यह दिया जा रहा है कि यदि कोई ई-वाहन घरेलू कनेक्शन से चार्ज किया जा रहा है और वह उस वाहन का व्यावसायिक उपयोग करता है तो उसके लिए बिजली की दरें भी व्यावसायिक होनी चाहिए। जिलेभर में करीब 400 ई-बाइक और स्कूटर हैं। सर्वे में इनकी जानकारी भी जुटानी है, लेकिन व्यावसायिक बिजली कनेक्शन की अनिवार्यता को लेकर अब तक कोई स्पष्ट जवाब नहीं है।
ई-रिक्शा की फुल बैटरी चार्ज होने में करीब पांच यूनिट बिजली की खपत होती है। इससे ई-रिक्शा 50 किमी तक चल सकता है। यदि दिनभर में 150 किलोमीटर का सफर तय करना है तो 15 यूनिट बिजली लगेगी, जो व्यावसायिक दर से 90 रुपए की होगी। यानी एक महीन में 2700 रुपए का खर्च। तीन किलोवॉट कनेक्शन लिया तो 300 रुपए फिक्स चार्ज, मीटर प्रभार 40 रुपए मिलाकर लगभग तीन हजार रुपए से ज्यादा का बिल चुकाना होगा।
ऊर्जा विभाग के आदेश के अनुसार घरेलू बिजली कनेक्शन से ई-वाहन चार्ज करते पाए जाने पर विद्युत अधिनियम 2003 की धारा 135 की उपधारा-2 के तहत ई-रिक्शा वाहन एवं संबंधित उपकरणों को जब्त कर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इलेक्ट्रिक वाहन का उपयोग करने वालों को विद्युत नियामक आयोग की ओर से निर्धारित दरों पर पृथक मीटर के माध्यम से ही विद्युत का उपयोग करना होगा। वाहनों के चार्जिंग के लिए उपयुक्त श्रेणी में त्वरित कनेक्शन दिए जाएंगे।
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इनका कहना है
हमें सिर्फ ई-वाहन के सर्वे के लिए आदेश मिले हैं। हम किसी को भी नए कनेक्शन लेने के लिए बाध्य नहीं कर रहे। यदि कोई व्यावसायिक कनेक्शन लेना चाहेगा तो उसे दिया जाएगा। किसी भी मीटर से कनेक्शन हो, रीडिंग चल रही है तो बिल का भुगतान करेगा ही। यदि कोई बायपास करके बैटरी चार्ज करता है तो कार्रवाई होगी।
-एसपी तिवारी, अधीक्षण अभियंता, एमपीईबी सीधी