scriptजिला पंचायत सीधी में भष्ट्राचार के खुलासे के बाद उच्चाधिकारियों ने उठाए ये कदम मचा हड़कंप | Commissioner Ashok Kumar strict order on corruption in Jila Panchayat | Patrika News

जिला पंचायत सीधी में भष्ट्राचार के खुलासे के बाद उच्चाधिकारियों ने उठाए ये कदम मचा हड़कंप

locationसीधीPublished: Jun 25, 2020 07:56:16 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

-निर्माण कार्यों को स्वीकृति और निरस्तीकरण का प्रकरणअधिवक्ता की शिकायत पर कमिश्नर ने लिया संज्ञान -कमिश्नर ने डीएम को दिए जांच के निर्देश

कमिश्नर रीवा डॉ अशोक कुमार भार्गव

कमिश्नर रीवा डॉ अशोक कुमार भार्गव

सीधी. जिला पंचायत सीधी में चल रही मनमानी का मुद्दा अब तूल पकड़ने लगा है। ऐसे कुछ मामलों को अधिवक्ता अंबुज पांडेय ने जोर-शोर से उठाया है। तत्कालीन कमिश्नर अशोक कुमार भार्गव से शिकायत तक की थी लेकिन उनका तबादला हो गया। लेकिन तबादले के पहले ही भार्गव ने डीएम को इस पूरे प्रकरण की जांच का निर्देश दे दिया था। जांच डीएम को करनी है और उन्होंने आश्वस्त किया है कि जल्द ही जांच कर दोषियों के विरुद्ध सख्त कार्रवाई की जाएगी। ऐसे में अब यह उम्मीद बंध रही है कि जिला पंचायत में व्याप्त भ्रष्टाचार का न केवल खुलासा होगा बल्कि उस पर लगाम भी लगेगी।
बता दें कि अधिवक्ता अंबुज पांडेय ने तत्कालीन कमिश्नर डॉ अशोक कुमार भार्गव से जिला पंचायत सीधी में चल रहे भ्रष्टाचार से संबंधित 7 बिंदुओं पर शिकायत की थी। इसमें उन्होंने बताया था कि किस तरह से जिला पंचायत सीधी के मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा रोजगार गारंटी (मनरेगा) के कार्यों को स्वीकृत किया गया था, जिस पर कार्य भी प्रारंभ हो चुके थे, कुछ कार्य पूर्ण हो चुके हैं। फिर अचानक मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने पूर्व में जारी स्वीकृत आदेशों को स्वयं ही फर्जी बताकर निरस्त किया जा रहा है। पांडेय ने बताया है कि जब मुख्य कार्यपालन अधिकारी कार्यालय से आदेश जारी होते हैं, कार्यालयीन आवक-जावक पंजिका में विधिवत पंजीबद्ध हैं तो आदेश फर्जी कहां से जारी होते हैं? विवरण निरस्तगी आदेश में जारी क्यों नहीं किया जाता? मुख्य कार्यपालन अधिकारी द्वारा जारी अपने आदेश को स्वयं ही निरस्त किया जाना, किसी वरिष्ठ सक्षम अधिकारी को सूचित न करना व उनकी अनुमति प्राप्त न करना भी शंका के घेरे में है।
शिकायती पत्र में उल्लेख किया गया है कि यदि फर्जी आदेश कार्यालय से जारी हो रहे हैं तो जिम्मेदार कौन है? ऐसे फर्जीवाड़े पर कार्रवाई क्यों नहीं की गई? पुराने अधिकारी-कर्मचारी आज भी उन्हीं शाखाओं में कार्यरत हैं जो फर्जीवाड़े को अंजाम दे रहे हैं। उन्होंने लिखा है कि मुख्य कार्यपालन अधिकारी के कार्यों से ऐसा लगता है कि या तो उनके द्वारा स्वयं फर्जीवाड़े का षडय़ंत्र किया जा रहा है और उसे छिपाने की योजना तैयार की जा रही है या उनका कार्यालय पर नियंत्रण नहीं है।
अधिवक्ता पांडेय ने शिकायती पत्र में कोविड-19 महामारी के महासंकट में केंद्र सरकार/ राज्य सरकार के योजना निर्देशों के अनुरूप प्रवासी मजदूरों के परिवार के भरण पोषण के लिए आर्थिक सहायता की खातिर कार्य उपलब्ध कराने की व्यवस्था का अनुपालन न करने का आरोप भी मुख्य कार्यपालन अधिकारी पर लगाया है। कहा है कि उनकी उदासीनता के कारण वे सारी योजनाएं असफल हो रही है। अधिवक्ता पांडेय ने शिकायती पत्र के माध्यम से मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीधी के अनियमित कार्यों की बिंदुवार विधिवत जांच कराने और दोषियों के पर एफआईआर दर्ज कराने की मांग की है।
कमिश्नर का निर्देश
अधिवक्ता अंबुज पांडेय द्वारा की शिकायत को संज्ञान लेते हुए तत्कालीन कमिश्नर रीवा संभाग द्वारा कलेक्टर सीधी को पत्र के माध्यम से मुख्यकार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीधी के कार्यों के अनियमितता की जांच एवं कार्रवाई के निर्देश दिए गए थे। पत्र में लिखा गया था कि अधिवक्ता अंबुज पांडेय ने सात बिंदुओं का शिकायती पत्र इस कार्यालय में प्रस्तुत कर मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत सीधी के खिलाफ अनियमितता की शिकायत की है। ऐसे में पांडेय के शिकायती पत्र में उल्लिखित बिंदुओं की बिंदुवार जांच कराकर जांच प्रतिवेदन अपने स्पष्ट अभिमत के साथ इस कार्यालय को भेंजे।
अभी नहीं हो पाई है जांच
“कमिश्नर कार्यालय से जिला पंचायत सीधी के कार्यों की अनियमितता की जांच का पत्र प्राप्त हुआ है, लेकिन अभी इसकी जांच नहीं हो पाई है। मामले की शीघ्र ही बिंदुवार जांच कर अभिमत के साथ प्रतिवेदन कमिश्नर कार्यालय प्रेषित किया जाएगा।-“-रवींद्र कुमार चौधरी, कलेक्टर सीधी
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