कमलेश्वर पटेल ने कहा कि जान बूझकर अदालत में दलीलें नहीं दी गई। शासन के वकील को चुप रहने को कहा गया। उन्होंने कहा कि शिवराज सिंह सरकार की नीयत ठीक नहीं है। कहा कि पिछले 15 सालों में कभी सरकार को होश नहीं था. जब कांग्रेस की सरकार बनी तो ओबीसी को 27 प्रतिशत आरक्षण देने का फैसला किया गया।
पूर्व मंत्री ने कहा कि इस पूरे प्रकरण में भाजपा की ओर से घोर लापरवाही सामने आई है। बताया कि कांग्रेस ने 2003 में ओबीसी को आरक्षण दिया था। इसे आरएसएस और भाजपा समर्थित लोगो ने चुनौती दी थी और जब 2004 में भाजपा सत्ता में आई तो इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की। जानबूझकर ढील दी। किसी प्रकार की रूचि नहीं दिखाई। ओबीसी के खिलाफ यह भाजपा सरकार की चाल थी कि बेमन से अदालत में केस लड़ें। परिणाम यह रहा कि 2014 में आरक्षण फिर 14 प्रतिशत हो गया जैसा भाजपा चाहती थी।
कांग्रेस नेता ने कहा कि शिवराज सरकार झूठ बोलती रही कि 27 प्रतिशत आरक्षण पर कोर्ट की रोक है। हकीकत यह है कि पिछले 15 सालों में भाजपा सरकार ने ओबीसी को आरक्षण का लाभ देने कोई कदम नहीं उठाया और जब कांग्रेस ने कदम उठाया तो संघ के दबाव में कांग्रेस को ही उलटे कटघरे में खड़ा कर रही है।
पटेल ने कहा कि यह भाजपा के गले नहीं उतर रहा है। वह राजनीति के ओछे स्तर पर उतर आई है। यदि हिम्मत हो तो सीधे बताए कि ओबीसी से घृणा करती है और कभी इसका विकास नहीं चाहती, इसलिए अदालत में वकील को पक्ष ही नहीं रखने दिया। शासन का वकील वही बोलता है जो सरकार उससे बुलवाती है। इससे साफ जाहिर है कि आरएसएस के कहने पर ओबीसी के पक्ष में होने वाले निर्णय की हत्या करने का पूरा जाल बिछाया।
पटेल ने कहा कि ओबीसी आरक्षण के मामले में सरकार ने जो कुटिल चाल चली है उसे पूरा समाज देख रहा है। पिछले 15 सालों में जो सरकार कुछ नहीं कर सकी, उसे कमलनाथ की कांग्रेस सरकार ने हल करके निर्णय की स्थिति में ला दिया था। उन्होंने कहा कि शिवराज सरकार को स्वीकार करना होगा कि वह ऐसा निर्णय लेने में अक्षम थी।