टेस्टिंग बंद होने के कारण!
ऐसे में जिला अस्पताल की ओपीडी में सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही हैं। जिससे लोगों के अंदर पुनः कोरोना का खौफ बढ़ता जा रहा है। वहीं टेस्टिंग बंद होने के पीछे स्वास्थ्य विभाग संचालनालय से ट्रांसपोर्टिंग के लिए बजट का नहीं मिलने का कारण बता रहा है, जबकि प्रदेश के अन्य जिलों में सैंपल लिए जा रहे हैं। ऐसे में टेस्टिंग नहीं होने के कारण उत्तर प्रदेश व छत्तीसगढ़ से सटे होने की वजह से सीधी जिले में कोरोना संक्रमण का खतरा बना हुआ है।
संक्रमण के खतरा
मध्य प्रदेश में कोरोना संक्रमण के मामले पुनरू बढना शुरू हो गए हैं। रीवा संभाग अंतर्गत सतना व सिंगरौली जिले में कोरोना संक्रमित मरीज सामने आ चुके हैं। वहीं पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश में इस समय कोरोना के मरीज लगातार मिल रहे हैं। चूंकि सीधी जिले की सीमा उत्तर प्रदेश से लगी हुई हैं इसलिए संक्रमण के खतरे का अंदेशा बना हुआ है। हालांकि जिले में अभी तक एक भी मरीज कोरोना संदिग्ध नहीं मिला है, लेकिन पुराना इतिहास देखा जाए तो जिले में कोरोना की दस्तक महाराष्ट्र व उत्तर प्रदेश से ही हुई थी। जिसके कारण पूरे जिले में तेजी से लोग संक्रमित हुए थे।
जिला अस्पताल में ओपीडी 400 के ऊपर
जिला अस्पताल में ओपीडी की संख्या 400 से ऊपर प्रतिदिन पहुंच रही है। इनमें सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित मरीजों की संख्या सबसे ज्यादा बताई जाती है। पिछले छह दिनों के आंकड़ों पर नजर डाली जाए तो सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित मरीजों के अलावा बच्चों की संख्या प्रतिदिन आधा सैकड़ा के लगभग पहुंच रही है। बड़ी संख्या में रोजाना सर्दी-खांसी और बुखार के मरीज अस्पताल पहुंच रहे हैं। मरीजों को लक्षण के आधार पर सिर्फ दवाएं दी जा रही है। जबकि सर्दी-खांसी और बुखार से पीड़ित गंभीर मरीजों की कोविड जांच की जाना जरूरी हैं जांच नहीं हो रही है।
– डॉ. आइजे गुप्ता, सीएमएचओ, सीधी