दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को किया पृथक
परिवाद की पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजेश मिश्रा के अनुसार, कार्यपालन यंत्री ने 27 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 5 सितंबर 2015 को पद से पृथक किया था। जिसके बाद पीडि़तों ने न्यायालय में प्रकरण दायर किया। न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में आदेश देते हुए उन्हें फिर से सेवा में रखे जाने अथवा एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति राशि देने को कहा है, किंतु विभाग ने समय सीमा में न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया। लिहाजा सभी ने अवमानना प्रकरण दायर करने शासन से अनुमति मांगी थी। जहां से अधिकृत किए जाने के बाद सभी कर्मचारियों ने पृथक-पृथक परिवाद पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर न्यायालय ने अपराध पंजीबद्ध कर सुनवाई में लिया है।
परिवाद की पैरवी कर रहे अधिवक्ता राजेश मिश्रा के अनुसार, कार्यपालन यंत्री ने 27 दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों को 5 सितंबर 2015 को पद से पृथक किया था। जिसके बाद पीडि़तों ने न्यायालय में प्रकरण दायर किया। न्यायालय ने कर्मचारियों के पक्ष में आदेश देते हुए उन्हें फिर से सेवा में रखे जाने अथवा एक माह के भीतर क्षतिपूर्ति राशि देने को कहा है, किंतु विभाग ने समय सीमा में न्यायालय के आदेश का पालन नहीं किया। लिहाजा सभी ने अवमानना प्रकरण दायर करने शासन से अनुमति मांगी थी। जहां से अधिकृत किए जाने के बाद सभी कर्मचारियों ने पृथक-पृथक परिवाद पत्र प्रस्तुत किया, जिस पर न्यायालय ने अपराध पंजीबद्ध कर सुनवाई में लिया है।
इन्होंने प्रस्तुत किया
न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में मेवालाल केवट, भैयालाल सिंह, बलिकरण यादव, अनिल तिवारी, हृदयलाल तिवारी, प्रेमलाल केाल, हिंछलाल साहू, हीरालाल सोंधिया, पन्नालाल केवट, शिवकरण यादव, शिवदयाल साकेत, देवीदीन साकेत, रामसुमेर केवट, मोतीलाल केवट शामिल हैं।
न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में परिवाद प्रस्तुत करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों में मेवालाल केवट, भैयालाल सिंह, बलिकरण यादव, अनिल तिवारी, हृदयलाल तिवारी, प्रेमलाल केाल, हिंछलाल साहू, हीरालाल सोंधिया, पन्नालाल केवट, शिवकरण यादव, शिवदयाल साकेत, देवीदीन साकेत, रामसुमेर केवट, मोतीलाल केवट शामिल हैं।