धान का समर्थन मूल्य एक हजार 750 रुपए है जबकि खुले में धान एक हजार 500 रुपए प्रति क्विंटल से भी कम दाम मे बिक रही है। खुले में व्यापारियों को माल बेचने पर उन्हें हांथो हांथ भुगतान हो रहा है। इसलिए किसानों का समर्थन मूल्य पर माल बेचने में रूझान कम नजर आ रहा है।
15 नवंबर से शुरू हुई थी सरकारी खरीद
सहकारी समितियों में 15 नवंबर से धान की खरीद शुरू हुई थी। जिला सहकारी केंद्रीय बैक मे शाखा प्रभार ने बताया कि जिले में समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की जा रही है। जहां धान की खरीदी पर्याप्त मात्रा मे की जा रही है। अब तक 5 हजार 992 किसानों के द्वारा धान की उपार्जन मे से 2 लाख 69 हजार 305 क्विंटल धान की खरीदी कर ली गई है। जिसके विरूद्ध गोदामों मे 2 लाख 24 हजार 609 क्विंटल धान का भंडारण कर लिया गया है, शेष को भंडारित किया जा रहा है। किसानों को पूर्व मे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से भुगतान किया जाता था किंतु इस बार सीधे भोपाल से किसानों के खाते मे समर्थन मूल्य की राशि का भुगतान किया जा रहा है, जो भुगतान रूका हुआ है, उसका भी जल्द ही भुगतान हो जाएगा।
सहकारी समितियों में 15 नवंबर से धान की खरीद शुरू हुई थी। जिला सहकारी केंद्रीय बैक मे शाखा प्रभार ने बताया कि जिले में समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की जा रही है। जहां धान की खरीदी पर्याप्त मात्रा मे की जा रही है। अब तक 5 हजार 992 किसानों के द्वारा धान की उपार्जन मे से 2 लाख 69 हजार 305 क्विंटल धान की खरीदी कर ली गई है। जिसके विरूद्ध गोदामों मे 2 लाख 24 हजार 609 क्विंटल धान का भंडारण कर लिया गया है, शेष को भंडारित किया जा रहा है। किसानों को पूर्व मे जिला सहकारी केंद्रीय बैंक से भुगतान किया जाता था किंतु इस बार सीधे भोपाल से किसानों के खाते मे समर्थन मूल्य की राशि का भुगतान किया जा रहा है, जो भुगतान रूका हुआ है, उसका भी जल्द ही भुगतान हो जाएगा।
15 दिन बाद आ रहा नंबर
किसानों को तुलाई के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद विक्री करने के बाद करीब 15 दिन बाद किसानों के भुगतान का नंबर आ रहा है, कई किसानों को महीने बाद भी भुगतान का नंबर नहीं आ पा रहा है। जबकि ब्यवसाइसों के हाथों हाथ तुलाई के अलावा तुरंत भुगतान हो रहा है। इसके चलते सरकारी खरीद केंद्र के बजाय व्यापारियों के माल की आवक अधिक हो रही है।
किसानों को तुलाई के लिए ऑनलाइन पंजीकरण कराने के बाद विक्री करने के बाद करीब 15 दिन बाद किसानों के भुगतान का नंबर आ रहा है, कई किसानों को महीने बाद भी भुगतान का नंबर नहीं आ पा रहा है। जबकि ब्यवसाइसों के हाथों हाथ तुलाई के अलावा तुरंत भुगतान हो रहा है। इसके चलते सरकारी खरीद केंद्र के बजाय व्यापारियों के माल की आवक अधिक हो रही है।
किसान लगा रहे चक्कर
किसान समर्थन मूल्य पर माल बेचकर इसलिए खुश था कि उसे बाजार के बजाय अच्छा भाव मिल रहा है। लेकिन उपज का भुगतान समय पर नहीं मिलने से परेशान है। भुगतान के लिए क्रय विक्रय सहकारी समिति के चक्कर लगा रहे है। किसानो ने बताया कि उपज का समय से भुगतान नहीं मिलने से ठगा महसूस कर रहे है।
किसान समर्थन मूल्य पर माल बेचकर इसलिए खुश था कि उसे बाजार के बजाय अच्छा भाव मिल रहा है। लेकिन उपज का भुगतान समय पर नहीं मिलने से परेशान है। भुगतान के लिए क्रय विक्रय सहकारी समिति के चक्कर लगा रहे है। किसानो ने बताया कि उपज का समय से भुगतान नहीं मिलने से ठगा महसूस कर रहे है।
फैक्ट फाइल
– 5.992 किसानों ने की धान की विक्री
– 2,69,305क्विंटल धान की हो चुकी है खरीदी
– 47,12,85,313 रूपए का होना है भुगतान
– 28,50,96,245 रूपए का हो चुका है भुगतान
– 18,61,89,068 रूपए का भुगतान पड़ा हुआ है लंबित
– 2,24,609 क्विंटल धान का हो चुका है भंडारण
– 5.992 किसानों ने की धान की विक्री
– 2,69,305क्विंटल धान की हो चुकी है खरीदी
– 47,12,85,313 रूपए का होना है भुगतान
– 28,50,96,245 रूपए का हो चुका है भुगतान
– 18,61,89,068 रूपए का भुगतान पड़ा हुआ है लंबित
– 2,24,609 क्विंटल धान का हो चुका है भंडारण