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कोरोना का इलाज करने वालों की लापरवाही से संक्रमण का खतरा

locationसीधीPublished: May 21, 2020 04:54:11 pm

Submitted by:

Ajay Chaturvedi

– डॉक्टर ही कोरोना प्रोटोकॉल को कर रहे नजरंदाज

PPE kits arrived in the city for the first time, the municipality provided the sanitation kits of the Manikanchan Kendra to the Didi ...

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सीधी. अब जब देश में कोरोना संक्रमण तेज हो रहा है तो इसका इलाज करने वालो की लापरवाही भी सामने आने लगी है। आलम यह है कि कोरोना का इलाज करने वाले ही कोरोना प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ा रहे हैं। इलाज कैसे करना है, इलाज के दौरान क्या एहतियात बरतना है और हॉस्पिटल के आइसोलेशन वार्ड से बाहर निकल कर क्या करना है इसके लिए गाइड लाइन जारी है लेकिन उसका पालन नहीं हो रहा। ऐसे में कोरोना संक्रमण तेज होने का खतरा पैदा हो गया है।
जगह-जगह से लगातार ये रिपोर्ट आ रही है कि कोरोना पीड़ित के इलाज के दौरान इस्तेमाल पीपीई किट को जहां-तहां फेंक दिया जा रहा है। पत्रिका की पड़ताल में इसमें डॉक्टरो की लापरवाही उजागर हुई है। आलम यह है कि कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए प्रयोग किए जाने वाले पीपीई किट व मास्क खुले में फेंके जा रहे हैं। इसमें कूड़ा उढ़ाने वाले सफाई कर्मचारी से लेकर राहगीरों तक के संक्रमित होने का खतरा पैदा हो गया है। दरअसल स्वास्थ्य विभाग की ओर से पीपीई किट के निस्तारण की कोई व्यवस्था ही नहीं बनाई गई है। नगर निगम व नगर पालिका प्रशासन भी इस तरफ से पूरी तरह लापरवाह बना है।
टीम पत्रिका की पड़ताल में पता चला कि वो डॉक्टर जो कोरोना मरीज का इलाज कर रहे हैं वो ही आइसोलेशन वार्ड के बाहर पीपीई किट उतार कर फेंक दे रहे हैं। इसी तरह से कोरोना वायरस के संक्रमण के लिए जो मास्क पहने जा रहे हैं उसे भी जहां-तहां उतार कर फेंक दिया जा रहा है। चाहे विदेश से आने वाले यात्री हों या गैर प्रांत व गैर जिलों से, उन्हें जो मास्क मुहैया कराया जा रहा है वो भी इस्तेमाल के बाद कहीं भी फेंक दिया जा रहा है।
स्वास्थ्य विभाग की ओर से जारी एडवाइजरी के मुताबिक पीपीई किट व मास्क को उपयोग के बाद सामान्य ब्लीचिंग पाउडर के 5 प्रतिशत घोल या एक प्रतिशत सोडियम हाईपोक्लोराइट घोल से अच्छी तरह डिफेक्ट करने के बाद जलाकर गहरे गड्ढे में दबाकर डिस्पोज किया जाना चाहिए। लेकिन इसे खुले में फेंका जा रहा है। अब स्वास्थ्य महकमा ही बताता है कि ये पीपीई किट व मास्क जो कहीं भी फेंके जा रहे हैं उसमें कई घंटे तक कोरोना वायरस जिंदा रहता है। ऐसे में जो भी उसके संपर्क में आएगा उसका संक्रमित होना तय है।
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